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बाइडेन के आंगन में PM मोदी की हनक, AUS-जापान ने भी माना- चीन से निपटने में भारत ही नेता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं. वहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की और फिर क्वाड समिट में भी शरीक हुए. इस समिट में...

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चीन का यार बनाएगा श्रीलंका में सरकार! कौन हैं दिशानायके, राष्ट्रपति चुनाव में मिली अजेय बढ़त

नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसर हैं. रविवार को वोटिंग के बाद वोटों की काउंटिंग हो रही...

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समाज में नहीं था सरनेम लगाने का रिवाज! कब और किसने शुरू की यह परंपरा? पिता और पति का उपनाम क्यों लगाती हैं महिलाएं

बॉलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शर्मा शो’ सीजन 2 के ट्रेलर में बताया कि उन्होंने शादी के बाद अपने नाम के पीछे कपूर जोड़ लिया है...

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यूक्रेन को हथियार सप्लाई की झूठी खबर, भारत सरकार ने दिया जवाब

भारत से गोला-बारूद यूक्रेन में पहुंचने के बारे में  खबर पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. रॉयटर्स की रिपोर्ट पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश...

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अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कर दी है. यह ऐलान दो दिन की बैठक के बाद बुधवार को किया गया. ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट की कमी की गई है. मार्च 2020 के बाद पहली बार इंटरेस्‍ट रेट घटाया गया है. अब ब्याज दर 4.75% से 5% के बीच रहेंगी. इससे पहले मार्च 2020 में फेड ने इंटरेस्ट रेट्स में कटौती की थी. अमेरिका में बढती महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच 11 बार ब्याज दरों में वृद्धि की थी. पिछली तीन बैठकों ने फेड ने ब्‍याज दरें अपरिवर्तित रखी थीं और यह संकेत भी दिया था कि साल 2024 में ब्‍याज दरों में वह कटौती कर सकता है. शेयर मार्केट एनालिस्ट्स का मानना है कि इंटरेस्ट रेट्स में कटौती होने से भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों में तेजी आ सकती है. फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती का सीधा मतलब है कि अमेरिका में सरकारी बॉन्डों पर भी ब्याज दरों में कमी आएगी. ऐसा होने पर निवेशक अपना पैसा बॉन्ड में लगाने की बजाय शेयर बाजार में लगाना पसंद करेंगे. ब्याज दरें कम होने से भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेश बढ़ सकता है, जिससे मार्केट में तेजी आ सकती है. इसके अलावा इससे दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों पर भी ब्‍याज दरों में कटौती करने का दबाव बढेगा. यानी भारत में भी आने वाले समय में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कमी करने की संभावना अब बढ गई है.

तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे महसूस हुआ है कि हर बात का एक मतलब होता है. यहां तक कि घास के हिलने का भी, हवा का खिड़की से आने का, और धूप का दीवार पर चढ़कर चले...