देश

नौकरी जाने पर कंपनी से मिले पैसों पर कैसे लगता है टैक्‍स, एक्‍सपर्ट से समझें इसे बचाने का तरीका

स्टार्टअप्स और टेक कंपनियों में छंटनी हर रोज सुर्खियां बटोर रही हैं. पिंक स्लिप बांटने वाली ज्यादातर कंपनियां प्रभावित कर्मचारियों को 2-3 महीने का सेवरेंस पे (severance pay) भी दे रही हैं. भारत में कर कानून कुछ शर्तों के तहत ऐसे मुआवजे पर कर छूट (Tax) की अनुमति देते हैं, लेकिन इसका दायरा सीमित है. इस सेवरेंस पैकेज को लेकर आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं. कुछ अहम बातें जान लें ताकि आपको आसानी हो.

आयकर अधिनियम की धारा 17(3) के अनुसार, किसी करदाता द्वारा अपने रोजगार की समाप्ति पर प्राप्त किसी भी भुगतान को वेतन के एवज में लाभ माना जाता है. इस तरह के मुनाफे पर उसी तरह कर लगता है जैसे वेतन पर लगता है. इसका मतलब यह है कि नियोक्ता सेवरेंस पैकेज पर टीडीएस भी काट सकता है.

जानिए कब दी जाती है छूट?

आयकर अधिनियम की धारा 10(10सी) के अनुसार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के तहत भुगतान किए जाने पर आपको सेवरेंस पैकेज पर कर राहत मिल सकती है. अनुभाग स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति या अलगाव पर प्राप्त आय पर कर्मचारियों को एकमुश्त छूट की अनुमति देता है.

अगर सेवरेंस पेमेंट इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स ऐक्ट 1947 के प्रवाधानाों के मुताबिक है तो सेक्शन 10 (10B) के तहत छूट मिल सकती है. इसके तहत मैनेजरियल और ऐडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े काम करने वाले और 10 हजार रुपये महीने से ज्यादा वेतन वाले सुपरवाइजर आदि पर यह लागू नहीं होता.

VRS के केस में

नांगिया एंडरसन इंडिया के पार्टनर नीरज अग्रवाल के अनुसार, अगर सेवरेंस पेमेंट वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (VRS) के तहत मिला हो तो इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 10(10C) के तहत वह छूट के दायरे में आती है, लेकिन इसकी कई शर्तें हैं. जैसे पैसा वॉलंटरी रिटायरमेंट पर मिला हो, रकम 5 लाख रुपये से ज्यादा न हो (इससे ज्यादा होने पर टैक्स लगेगा).

सेवरेंस पाने वाला केंद्र या राज्य सरकार स्थापित कंपनी, लोक अथॉरिटी, यूनिवर्सिटी, पीएसयू, IITS, को-ऑपरेटिव सोसायटी आदि में काम करता हो. VRS के तहत स्पेशल स्कीम वाली निजी कंपनियों के एम्प्लॉयी को भी छूट. इनकम टैक्स के नियमों के रूल 2बीए को मानना होगा. छूट उसी असेसमेंट ईयर में ली जा सकती है, जिसमें हासिल की गई है.