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‘तिनका-तिनका इंडिया’ अवार्ड्स 9 दिसंबर को, जानिए इस बार किन्हें मिलेंगे पुरस्कार

तिनका-तिनका फाउंडेशन मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर 9 दिसंबर को ‘तिनका-तिनका इंडिया’ अवार्ड्स देगा. फाउंडेशन के 8वें संस्करण में दिए जा रहे इन अवॉर्ड्स के लिए देश के 700 कैदियों और 60 जेल कर्मचारियों में से 13 कैदियों और 3 जेल अधिकारियों को चुना गया है. इस अवॉर्ड के लिए तीन ट्रांसजेंडर कैदियों ने भी आवेदन दिया था. उनमें से एक को यह अवॉर्ड मिलेगा. इस वर्ष अवॉर्ड की थीम ‘जेल में समाचार पत्र’ है. इन पुरस्कारों की शुरुआत जेल सुधारक वर्तिका नंदा ने साल 2015 में की थी.

गौरतलब है कि, इन विशिष्ट पुरस्कारों का उद्देश्य जेल सुधारों की दिशा में कैदियों, कर्मचारियों और प्रशासन द्वारा असाधारण योगदान को मान्यता देना है. इस साल चुने हुए लोगों को यह अवॉर्ड अहमदाबाद की ऐतिहासिक सेंट्रल जेल साबरमती में दिए जाएंगे. उन्हें गुजरात के डीजी जेल डॉ. केएलएन भव्य समारोह में यह पुरस्कार देंगे. बता दें, तिनका-तिनका हर साल 4 श्रेणियों, पेंटिंग, स्पेशल मेंशन, जेल प्रशासन और बंदिनी अवार्ड्स के तहत अपने प्रमुख पुरस्कार प्रदान करता है. इस साल जूरी में डॉ. ए.पी. माहेश्वरी, आईपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व डीजी, बीपीआर एंड डी, और संजय चौधरी, आईपीएस (सेवानिवृत्त), पूर्व डीजी, कारागार एवं सुधार सेवाएं, मध्य प्रदेश शामिल थे.

पुरस्कार के लिए चयनित हुए यह लोग
इस साल पेंटिंग श्रेणी में 7 कैदियों को पुरस्कार के लिए चुना गया है. 4 कैदियों को जेल जीवन में विशेष योगदान के लिए चुना गया है. विशेष उल्लेख श्रेणी के तहत 1 ट्रांसजेंडर को चुना गया है. इसके अलावा इस वर्ष विशेष तिनका-तिनका बंदिनी पुरस्कार के लिए 2 महिला कैदियों को भी चुना गया है. बता दें, साल 2015 से 2021 के बीच 153 से अधिक कैदियों और 43 जेल कर्मचारियों को तिनका-तिनका इंडिया अवार्ड मिल चुका है. इन पुरस्कारों के लिए सिफारिशें वरिष्ठ जेल अधिकारियों द्वारा भेजी जाती हैं. पुरस्कार समारोह हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित किया जाता है.

इनके प्रयासों से कैदियों को मिल रही नई पहचान
तिनका-तिनका फाउंडेशन की संस्थापक जेल सुधारक और मीडिया शिक्षिका डॉ. वर्तिका नंदा हैं. वह दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं. उन्हें साल 2014 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जेलों पर उनके काम को दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह मिली है. जेलों पर उनके काम को साल 2018 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया था.

“भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति का अध्ययन और उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में उनकी संचार आवश्यकताओं” पर उनके हालिया शोध का मूल्यांकन किया गया और आईसीएसएसआर द्वारा ‘उत्कृष्ट’ माना गया. तिनका तिनका शृंखला की तीन पुस्तकें- तिनका तिनका तिहार, डासना और मध्य प्रदेश को भी कारागार जीवन पर उत्कृष्ट कृतियों के रूप में मान्यता प्राप्त है.