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क्‍या है होम लोन का लीगल वेरिफिकेशन, ग्राहक के लिए यह कितना जरूरी है और इससे क्‍या फायदा होगा

होम लोन (Home Loan) अक्सर लेंडर और कर्ज लेने वाले शख्स, दोनों पार्टी के लिए एक जोखिम भरा ट्रांजैक्शन साबित होता है. होम लोन के आवेदक इस बात को लेकर संशय रहता है कि जिस लोन रकम के लिए वह आवेदन कर रहा है वह लोन उसके घर खरीदने के लिए के लिए पर्याप्त होगा या नहीं ? वहीं लेंडर भी इस बात से डरा रहता है कि कर्ज लेने वाला शख्स लोन चुका पाएगा या नहीं?

होम लोन हाल ही में एक फलता-फूलता सेक्टर रहा है, जून में होम लोन के आउटस्टैडिंग आंकड़े 17.4 ट्रिलियन रुपये थे. इसके अलावा, हाल ही में होम लोन की ऊपरी सीमा को 100% तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. हालांकि, बैंकों और अन्य कर्ज देने वाली संस्थाओं को सावधानी के साथ अपनी होम लोन स्वीकृत करते हैं. होम लोन जारी करने से पहले लेंडर की तरफ से लीगल और टेक्निकल वेरिफिकेशन भी कराया जाता है.

होम लोन का लीगल वेरिफिकेशन
लीगल वेरिफिकेशन (Legal Verification) प्रोसेस इस बात की पुष्टि की जाती है कि होम लोन के लिए उपलब्ध कराए गए सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध हैं और कर्ज लेने वाले शख्स की तरफ से कोई ऐसी कानूनी अड़चन नहीं है. लीगल वेरिफिकेशन प्रोसेस जटिल है लेकिन होम लोन जारी करने से पहले ये प्रोसेस सबसे अहम है.

लीगल वेरिफिकेशन का प्रोसेस
>> लोन लेने वाला शख्स जब लेंडर्स के पास होम लोन के लिए अप्लाई करते समय दस्तावेज जमा करता है तब लीगल वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
>> एग्रीमेंट की ओरिजनल कॉपी, प्रॉपर्टी टैक्स के पेमेंट की रसीद और मकान का ब्लूप्रिंट या फ्लोर प्लान जैसे जरूरी दस्तावेज जमा करना होता है.
>> ऑन-साइट टेक्निकल वेरिफिकेशन के दौरान सभी दस्तावेजों की संबंधित मुहर के साथ ओरिजनल कॉपी भी उपलब्ध कराने पड़ते हैं.
>> उसके बाद लेंडर एक लीगल चेक आयोजित कराता है. इसमें वकीलों की तरह एक्सपर्ट्स की एक टीम दस्तावेजों को चेक करती है जिनमें एनओसी, टाइटल डीड आदि शामिल हैं.
>> लीगल वेरिफिकेशन प्रोसेस 2 फेज में पूरी होती है. इस प्रासेस के पहले फेज में प्रॉपर्टी का मूल्यांकन किया जाता है. उसके बाद दूसरे फेज में टाइटल रिपोर्ट तैयार की जाती है.

लीगल वेरिफिकेशन के बाद टेक्निकल वेरिफिकेशन
लीगल वेरीफिकेशन की प्रक्रिया के बाद टेक्निकल वेरिफिकेशन (Technical Verification) की जाती है. इसमें होम लोन जारी करने से पहले प्रापर्टी की फिजिकल कंडीशन की जांच की जाती है. एक्सपर्ट की एक टीम प्रॉपर्टी लोकेशन का दौरा और उसकी मूल्यांकन करती है.