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‘9/11 और 26/11 फिर से नहीं होने देंगे’- UNSC में पाक-चीन को एस जयशंकर ने घेरा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक खतरा है. यह कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता. इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान के एक स्पष्ट संदर्भ में कहा कि आतंकवाद का समकालीन केंद्र बहुत अधित सचेत और सक्रिय है. वहीं चीन द्वारा बार-बार आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की राह में रोड़ा लगाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आतंकवाद से जुड़े सबूत-समर्थित प्रस्तावों पर पर्याप्त कारण बताए बिना रोक लगा दी जाती है.

9/11 और 26/11 का विदेश मंत्री ने किया जिक्र
इसके अलावा उन्होंने कहा कि न्यूयॉर्क का 9/11 या मुंबई का 26/11 दोबारा नहीं होने दे सकते. उन्होंने कहा कि किसी भी देख को आतंकवाद से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश नहीं करना चाहिए. जब आतंकवाद से निपटने की बात आती है तो हमें अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर करना चाहिए. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष निकाय सुरक्षा परिषद में सुधार की अधिकांश सदस्य देशों की बढ़ती इच्छा को उजागर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस को धन्यवाद दिया.

सुरक्षा परिषद में सुधार वर्षों के प्रयास में भारत आगे
सुरक्षा परिषद में सुधार के वर्षों के प्रयासों में भारत सबसे आगे रहा है. उसका कहना है कि वह विश्व संस्था के 15-सदस्यीय शीर्ष निकाय के स्थायी सदस्य के रूप में स्थान का हकदार है. भारत के मुताबिक 15 सदस्यीय यह निकाय अपने वर्तमान स्वरूप में 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को धन्यवाद दिया
जयशंकर ने ट्वीट किया, “सुरक्षा परिषद में सुधार की बढ़ती इच्छा को उजागर करने के लिए महासचिव का धन्यवाद. कल खुले वाद-विवाद में आपकी उपस्थिति अत्यंत प्रशंसनीय है.” बीते बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान द्वारा कश्मीर का मुद्दा उठाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि जिस देश ने ओसामा बिन लादेन को पनाह दी हो उसपर विश्वास करना मुश्किल है.

इसके अलावा तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि निश्चित रूस से सीमा पार आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देश पर लागू होता है. ओसामा बिन लादेन की मेजबानी करना और न ही पड़ोसी देश की संसद पर हमला करना इस परिषद के सामने उपदेश देने के लिए प्रमाण के रूप में काम कर सकता है.