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देश में फिर लगेगा लॉकडाउन या बंद होंगी इंटरनेशनल फ्लाइट्स? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

भारत में कोविड-19 के मौजूदा हालात को देखते हुए क्या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने या लॉकडाउन लागू करने की जरूरत है? इस सवाल पर विशेषज्ञों का साफ कहना है कि देश में ऐसे हालात नहीं है. हालांकि इसके साथ ही उनका कहना है कि कुछ देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के मद्देनजर निगरानी और सतर्कता मजबूत करना अनिवार्य है. उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के गंभीर मामले आने और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका नहीं है, क्योंकि भारत में लोगों में ‘हाइब्रिड इम्युनिटी’ विकसित हो चुकी है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘कुल मिलाकर कोविड के मामलों में वृद्धि नहीं हुई है और भारत अभी ठीक स्थिति में है. मौजूदा परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने या लॉकडाउन लागू करने की कोई आवश्यकता है.’

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पहले के अनुभव दिखाते हैं कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उड़ानों पर पाबंदी लगाना प्रभावी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आंकड़े दिखाते हैं कि चीन में संक्रमण के तेजी से फैलने के लिए जिम्मेदार ओमिक्रॉन का बीएफ.7 सबवेरिएंट हमारे देश में पहले ही पाया जा चुका है.’

यह पूछने पर कि क्या आने दिनों में लॉकडाउन की जरूरत है, डॉ. गुलेरिया ने कहा, ‘कोविड के गंभीर मामले बढ़ने और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना नहीं है, क्योंकि टीकाकरण की अच्छी दर और प्राकृतिक रूप से संक्रमण होने के कारण भारतीयों में हाइब्रिड इम्युनिटी पहले ही विकसित हो चुकी है.’ उन्होंने कहा, ‘मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए और लोगों के बीच हाइब्रिड इम्युनिटी की अच्छी-खासी दर होने के कारण लॉकडाउन की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है.’

वहीं सफदरजंग हॉस्पिटल में फेफड़े और गहन देखभाल विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीरज गुप्ता ने कहा कि भारत को चीन तथा कुछ अन्य देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को देखते हुए अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है, लेकिन ‘भारत के मौजूद परिदृश्य को देखते हुए निकट भविष्य में लॉकडाउन जैसी स्थिति की परिकल्पना नहीं की गई है.’ उन्होंने कहा कि ‘हाइब्रिड इम्युनिटी’ किसी व्यक्ति को भविष्य में होने वाले संक्रमण के खिलाफ अधिक सुरक्षित बनाती है.

डॉ. गुप्ता ने यह भी कहा कि चीन अभी ज्यादा कमजोर स्थिति में है, जिसकी वजह कम प्राकृतिक इम्युनिटी, खराब टीकाकरण रणनीति हो सकती है, जिसमें बूढ़े और कमजोर आबादी के मुकाबले युवा और स्वस्थ लोगों को तरजीह दी गई. साथ ही चीनी टीकों को संक्रमण से बचाव में कम प्रभावी भी पाया गया है.