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‘भारत ने अपने आलोचकों को गलत साबित किया…दुनिया ने माना लोहा’, Covid-19 पर आ रही किताब, मनसुख मंडाविया ने लिखी प्रस्तावना

कोविड-19 के खिलाफ देशव्यापी टीकाकरण अभियान चलाने की भारत की क्षमता पर ‘प्रश्न उठाए गए, मजाक उड़ाया गया और असफल होने की भविष्यवाणी की गई’, लेकिन भारत ने अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया. ये बातें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारत के कोरोना टीकाकरण ​अभियान पर जल्द ही रिलीज होने वाली एक किताब की प्रस्तावना में लिखी हैं. ‘ब्रेविंग ए वायरल स्टॉर्म, इंडियाज कोविड-19 वैक्सीन स्टोरी’ (Braving a Viral Storm, India’s Covid-19 Vaccine Story) शीर्षक वाली यह किताब आशीष चांदोरकर और सूरज सुधीर द्वारा लिखी गई है और रूपा पब्लिकेशन ने इसे प्रकाशित किया है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस किताब की प्रस्तावना (Foreword) लिखी है, जबकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने समापन (Afterword) लिखा है. मंडाविया ने 2020 में कोविड महामारी के शुरुआती दिनों के बारे में किताब में उल्लेख किया है, ‘ऐसे सुझाव थे कि भारत को अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण करने में 10 साल लग सकते हैं. यह सिर्फ भारत सरकार ही नहीं बल्कि भारतीयों का भी उपहास उड़ाना था, यह मानते हुए कि वे टीकाकरण के महत्व को नहीं समझेंगे.’ वह लिखते हैं कि भारत ने अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया और 90 प्रतिशत से अधिक वयस्कों का पूरी तरह से टीकाकरण किया जा चुका है.

विदेशी दवा कंपनियों के दबाव में आए बिना भारत ने अपना सिर गर्व से ऊंचा रखा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने लिखा है, ‘हमने दुनिया भर के देशों को कोविड-19 टीकों की अपनी आवश्यकता के लिए संघर्ष और जद्दोजहद करते देखा है. कई वैश्विक नेताओं को निजी दवा कंपनियों से उन्हें टीके देने के लिए विनती करनी पड़ी. उन्हें निजी दवा कंपनियों के अतार्किक नियमों और शर्तों को स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. दूसरी ओर, भारत ने न केवल वायरस से सफलतापूर्वक लड़ाई लड़ी है, बल्कि इसके लिए किसी विदेशी दवा कंपनी के दबाव में आए बिना अपना सिर गर्व से ऊंचा रखा.’

आपको बता दें कि अमेरिका की निजी दवा कंपनियों फाइजर और मॉर्डना (Pfizer and Moderna) ने भी अपनी कोविड वैक्सीन के लिए भारत के सामने कुछ ऐसे नियम और शर्त रखे थे, जिसे मोदी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया. भारत का पूरा कोविड वैक्सीनेशन कैम्पेन भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Bharat Biotech and Serum Institute of India) के स्वदेशी टीकों कोवैक्सीन और कोविशील्ड (Covaxin and Covishield) के भरोसे चला.

‘प्रधानमंत्री की दृष्टि और विश्वास’
मंडाविया ने लिखा है, ‘पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 1.4 अरब भारतीयों का अटूट विश्वास काम आया. कोविड -19 महामारी के दौरान भारत को चलाने में पीएम द्वारा प्रदर्शित नेतृत्व अनुकरणीय रहा. संभावित वैक्सीन उम्मीदवारों पर समय, प्रयास और वित्तीय संसाधनों का जल्दी निवेश करने की उनकी दृष्टि ने लाभ दिया. भारत की वैज्ञानिक और अनुसंधान प्रतिभा में यह उन्हीं की दूरदृष्टि और दृढ़ विश्वास का नतीजा था, जिसने यह सुनिश्चित किया कि भारत देश में वैक्सीन की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भर (आत्मनिर्भर) बने. भारत में निर्मित दोनों कोविड वैक्सीन को मिली ट्रिपल ए रेटिंग (Triple A Rating) देशके लिए बेहद संतोष और गर्व की बात है.’

भारत का कोरोना टीकाकरण अभियान किसी आश्चर्य से कम नहीं: अदार पूनावाला
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने अपने टीके कोविशील्ड के साथ भारत की कोविड-19 टीकाकरण यात्रा में एक प्रमुख भूमिका निभाई. उन्होंने किताब के समापन में लिखा है, ‘हमें एक मिनट के लिए यह नहीं भूलना चाहिए कि टीकाकरण के मोर्चे पर हमने जो हासिल किया वह किसी अजूबे से कम नहीं था. इतनी बड़ी आबादी वाला देश और राज्यों में इतनी विविधताओं के साथ अब भी योजनाबद्ध और संगठित तरीके से 2 अरब से अधिक खुराक प्राप्त कर सकता है.’ वह याद करते हैं कि अब यह आसान लग सकता है, लेकिन महामारी की शुरुआत में, ‘बहुत कम लोगों ने यह विश्वास प्रकट किया था कि भारत इतनी उच्च गुणवत्ता वाली स्वेशी कोविड वैक्सीन बना सकता है.’

पूनावाला लिखते हैं, ‘भारत ने दुनिया को दिखाया कि एक देश कड़ी चुनौतियों से पार पा सकता है, यदि उसके साइंटिस्ट और मेडिकल प्रोफेशनल को सरकार से सही नीतिगत समर्थन मिले. भारत में विचारों और प्रतिभा की कभी कमी नहीं रही है. जब इनोवेशन और जोखिम लेने की भावना को समर्थन मिलता है, तो भारत चमत्कार कर सकता है.’ उनका कहना है कि सीरम को एक नए टीके के लिए यूएसएफडीए की मंजूरी मिल सकती है, जो टीका बनाने वाली किसी भी अन्य भारतीय कंपनी ने हासिल नहीं की है. पूनावाला लिखते हैं, ‘यह उपलब्धि भारतीय वैक्सीन इंडस्ट्री के लिए दुनिया के द्वार खोल सकता है और कोई भी देश भारत को अब कच्चे खिलाड़ी के रूप में नहीं देख सकता है.’ उनका कहना है कि सीरम के पास अब 4 बिलियन से अधिक वैक्सीन डोज प्रोडक्शन की क्षमता है और वैक्सीन प्रोडक्शन की कुल भारतीय क्षमता लगभग 7 से 8 बिलियन डोज है.

पूनावाला लिखते हैं, ‘जैसा कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है, भारत में वैक्सीन प्रोडक्शन की उपलब्ध क्षमता को भविष्य में आने वाली चुनौतियों और उनसे निपटने के लिए जरूरी आवश्यकताओं के अनुसार लगाया जा सकता है. सीरम अब मैसेंजर आरएनए जैसी कई तकनीकों को संभाल सकता है.’ उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व की भी तारीफ की है. अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने पुस्तक के लिए अपने संदेश में टिप्पणी की है कि ‘भारत ने इसे अपने तरीके से किया, अक्सर कोविड-19 से निपटने में विशेषज्ञों की सलाह को दरकिनार कर दिया. कोविड-19 चिकित्सा क्षेत्र और सामाजिक-आर्थिक मोर्चे पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया को लगने वाला सबसे बड़ा झटका था.’