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Heart Attack: बस ये 3 स्‍टैप सीखकर बचा सकते हैं किसी की जान

सर्दी बढ़ते ही हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्‍ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अकेले उत्‍तर प्रदेश में ही दो दिन में 40 से ज्‍यादा मौतें हार्ट अटैक से हुई हैं. इतना ही नहीं युवाओं और कम उम्र के लोगों के भी कोरोना के बाद से अचानक हार्ट फेल या कार्डिएक अरेस्‍ट (Cardiac Arrest) से जान जाने के मामले बहुत ज्‍यादा आ रहे हैं. सडन कार्डिएक अरेस्‍ट (Sudden Cardiac Arrest) के केसेज बढ़ने को लेकर केंद्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को इसके पीछे की वजह जानने के लिए भी कहा है. हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो हार्ट अटैक (Heart Attack) के मरीज की मौत अचानक नहीं होती, उसे थोड़ा सा समय मिलता है, अगर उस दौरान उसे फर्स्‍ट एड या शुरुआती मेडिकल मदद मिल जाए तो ऐसे हर मरीज की जान बचाई जा सकती है.

दिल्‍ली स्थित ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर वैस्‍कुलर कार्डियोलॉजी डॉ. नीतीश नायक न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि आजकल ऐसे केसेज बहुत ज्‍यादा संख्‍या में रिपोर्ट हो रहे हैं जब अचानक किसी को हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्‍ट होता है और मौके पर ही व्‍यक्ति की मौत हो जाती है. हालांकि ज्‍यादातर मामलों में देखा गया है कि हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्‍ट आने के तुरंत बाद व्‍यक्ति को शुरुआती फर्स्‍ट एड (First aid in Heart Attack) या चिकित्‍सकीय मदद नहीं मिल पाती. अधिकांश बार ऐसे मरीजों को बचाया जाना संभव भी होता है लेकिन किसी भी मेडिकल केयर या अस्‍पताल तक पहुंचने में देरी हो जाती है और इस दौरान उसे सीपीआर आ अन्‍य सुविधा नहीं मिल पाती.

डॉ. नायक कहते हैं कि आज जिस तरह से हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्‍ट के मामले सामने आ रहे हैं कि व्‍यक्ति कहीं भी हंसते, चलते, घूमते, बैठते, नाचते अचानक हार्ट अटैक से गिर पड़ता है, उसकी सांस रुक जाती है और कुछ देर में उसकी मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में सिर्फ डॉक्‍टरों के भरोसे रहना ठीक नहीं बल्कि सभी लोगों को कुछ बेसिक लाइफ स्किल आना जरूरी हैं. खासतौर पर युवाओं को यह सीखना चाहिए ताकि अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है तो वे सीपीआर (CPR) यानि कार्डियोपल्‍मोनरी रेससाइटेशन देकर मरीज को अस्‍पताल पहुंचने तक मरने से बचा सकें. यह हार्ट अटैक के मामलों में एक तरह का फर्स्‍ट एड है.