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टैक्स फ्री पेंशन, एफडी पर कम कटे कर, बुजुर्गों की यही बस मांग! बजट में राहत देगी सरकार?

केंद्रीय बजट 2023 देश में 2024 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा. इसलिए करदाता उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को इनकम टैक्स से जुड़ी अहम घोषाणाएं करेंगी. वरिष्ठ नागरिकों के लिए 60 वर्ष से अधिक आयु की बुनियादी छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना, वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से अधिक आयु वाले) के बराबर करना एक प्रमुख मांग है. यह वह सीमा है जो आय कर के अधीन नहीं है. फाइनेंशियल प्लानर्स को लगता है कि वित्त मंत्री को इस बजट में ध्यान देना चाहिए.

सभी को मेडिकल खर्च पर टैक्स कटौती की अनुमति मिले: वरिष्ठ नागरिक जिन्होंने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है, वे भुगतान किए गए प्रीमियम पर धारा 80डी के तहत 50,000 रुपये तक की कर कटौती का क्लेम कर सकते हैं. यदि उनके बच्चे उनकी ओर से प्रीमियम का भुगतान करते हैं, तो वे इस कटौती का लाभ उठा सकते हैं. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर पंकज मठपाल कहते हैं, ”ऐसे देश में जहां सरकारी अस्पतालों में भी मेडिकल खर्च पूरी तरह से फ्री नहीं है, इसलिए सरकार को बिना किसी सीमा के मेडिकल खर्च के लिए 100 फीसदी कटौती देनी चाहिए.” क्योंकि रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में आउट पेशेंट विभाग यानी ओपीडी के खर्च जैसे फार्मेसी बिल, डॉक्टर परामर्श शुल्क शामिल नहीं होते हैं.

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर सेक्शन 80D कटौती की सीमा बढ़े: कोविड-19 महामारी के बाद इसकी मांग में तेजी हुई है. महामारी फैलने के बाद हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ गया है और कई लोगों ने स्वेच्छा से अपने हेल्थ कवर को बढ़ाया है.अपना धन फाइनेंशियल सर्विसेज की संस्थापक प्रीति ज़ेंडे कहती हैं “यदि एक वरिष्ठ नागरिक और पति या पत्नी पर्याप्त, कॉम्प्रिहेन्सिव कवर का विकल्प चुनना चाहते हैं, तो प्रीमियम राशि 50,000 रुपये से अधिक हो सकता है, इसलिए वित्त मंत्री को धारा 80डी की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने पर विचार करना चाहिए.”

बचत और एफडी पर ब्याज कटौती को बढ़ाकर 1 लाख रुपये करें: वरिष्ठ नागरिक बैंक और डाकघर बचत सावधि जमा (एफडी) पर अर्जित ब्याज पर धारा 80TTB के तहत 50,000 रुपये तक की कर कटौती के हकदार हैं. वायल्टो पार्टनर्स के पार्टनर कुलदीप कुमार कहते हैं, “बढ़ती महंगाई को देखते हुए, जो उनकी बचत और आय के सीमित स्रोतों को खा जाती है, इस सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए.