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फाइनेंस बिल क्या है, क्यों है इतनी अहमियत, जानिए मनी बिल से कैसे अलग है ये

संसद में एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) द्वारा पेश किए जाने वाले आम बजट (Budget 2023) को लेकर लोगों के मन उत्सुकता है. सरकार की ओर पेश किया जाने वाला बजट आर्थिक गतिविधियों और अर्थव्यवस्था के लिए जितना महत्वपूर्ण है, इसकी अहमियत आम लोगों के लिए भी कम नहीं हैं. बजट का देश के नागरिकों के जीवन और भविष्‍य पर गहरा असर होता है, इसीलिए सभी को बजट का इंतजार रहता है. बजट के साथ ही वित्त विधेयक (Finance Bill) भी एक महत्‍वपूर्ण विधायी कार्य है. वित्त विधेयक बजट का ही हिस्‍सा होता है और इसे बजट सत्र में ही पेश किया जाता है. यह एक ऐसा बिल है जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष के वित्तीय प्रस्तावों को शामिल किया जाता है.

भारत के संविधान के अनुच्छेद 110 (1) (क) की अपेक्षा को पूरा करने के लिए वित्त विधेयक (Finance Bill) पेश किया जाता है, जिसमें बजट में प्रस्‍तावित कर लगाने, हटाने, माफ करने, उनके रद्दोबदल अथवा विनियमन का ब्‍यौरा दिया जाता है. वहीं, धन विधेयक (Money Bill) वित्तीय मामलों जैसे टैक्सेशन, सार्वजनिक व्यय आदि से संबंधित है. एक मनी बिल, तभी मनी बिल होता है, जब इसमें टैक्सेशन, सरकार द्वारा धन उधार लेने, भारत के कंसोलिडेटेड फंड से व्यय या प्राप्ति से संबंधित प्रावधान होते हैं. अगर किसी बिल में ये प्रावधान नहीं होते, तो उसे मनी बिल नहीं माना जाता.

वित्‍त विधेयक की खासियतें
आपको बता दें की संविधान के अनुच्छेद 110 के अनुसार, वित्त विधेयक भी धन विधेयक है. इसकी तीन श्रेणियां- वित्त विधेयक श्रेणी I, वित्त विधेयक श्रेणी II और धन विधेयक, हैं. वित्त विधेयक अपने अंदर धन विधेयक के उपबंध समेटे हो सकता है. अर्थात अनुच्छेद 110 में उल्लिखित किसी मामले का उपबंध इसमें हो सकता है. लेकिन इसमें इन उपबंधों के अलावा भी अन्य प्रकार के खर्च के उपबंध भी शामिल रहते हैं.

वित्‍त विधेयक और धन विधेयक में अंतर
धन विधेयक और वित्त विधेयक में अंतर (Difference Between Finance Bill And Money Bill) सिर्फ तकनीकी स्वरूप का होता है. सभी धन विधेयक वित्त विधेयक का हिस्सा होते हैं, पर सभी वित्त विधेयक धन विधेयक हों, यह जरूरी नहीं है. वित्त विधेयकों की पहली और दूसरी श्रेणी में खर्च, टैक्सेशन या किसी अन्य मामले से संबंधित प्रावधान होते हैं. अगर किसी वित्त विधेयक में जुर्माना या अन्य आर्थिक दंड लगाने, लाइसेंस के लिए शुल्क की मांग या भुगतान या प्रदान की गई सेवाओं के लिए शुल्क लगाने के उपबंध हैं, तो वह धन विधेयक नहीं कहलाएगा.