विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने शनिवार को पुणे में एक कार्यक्रम में कहा कि उन्हें यकीन नहीं था कि कोई प्रधानमंत्री उन्हें मंत्री बनाएगा. पुणे में अपनी पुस्तक, “द इंडिया वे: स्ट्रैटेजीज़ फॉर एन अनसर्टेन वर्ल्ड” (The India Way: Strategies for an Uncertain World) के मराठी अनुवाद के विमोचन कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि उनकी महत्वकांक्षा विदेश सचिव बनने तक ही थी. बता दें मंत्री बनने से पहले एस जयशंकर ने विदेश मंत्रालय में विदेश सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं.
जयशंकर ने कहा, “मेरे लिए विदेश सचिव बनना, स्पष्ट रूप से मेरी महत्वाकांक्षा की सीमा थी, मैंने कभी मंत्री बनने का सपना भी नहीं देखा था.” उन्होंने कहा, “मैं यकीन नहीं कर सकता कि नरेंद्र मोदी के अलावा कोई भी प्रधानमंत्री ने मुझे मंत्री बनाता.” उन्होंने कहा, “मैं वास्तव में कभी-कभी खुद से पूछता हूं कि अगर वह प्रधानमंत्री नहीं होते, तो क्या मुझमें राजनीति में प्रवेश करने की हिम्मत होती, मुझे नहीं पता.”
सुषमा स्वराज को लेकर कही ये बात
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ काम करने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “हमारे पास एक बहुत-बहुत अच्छी मंत्री सुषमा जी थीं और हम व्यक्तिगत रूप से बहुत अच्छे से काम करते थे. मैं कहूंगा कि हमारा संयोजन यानी कि एक मंत्री और सचिव का संयोजन बहुत अच्छा था. लेकिन, मैंने एक बात सीखी, जिम्मेदारियों में अंतर होता है, सचिव और मंत्री होने में पूरी तरह से अंतर होता है.”
जयशंकर ने कहा, “सचिव के ऊपर एक मंत्री होचा है जो संसद के प्रति और सार्वजनिक रूप से जवाबदेह होता है, जो अभी भी सुरक्षा और आराम देता है और वह एक छतरी के जैसा होता है.”