घरेलू रेटिंग एजेंसी इक्रा (ICRA) ने गुरुवार को कहा कि नीतिगत दर रेपो में वृद्धि से नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) की कर्ज वसूली की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रेपो रेट में वृद्धि के एक दिन बाद इक्रा ने यह टिप्पणी की है. इक्रा रेटिंग्स ने कहा कि इसका प्रमुख कारण यह है कि एक तो कर्जदारों ने मकान के रूप में गारंटी दे रखी है और दूसरा वे भुगतान करने को इच्छुक हैं.
आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये पिछले साल मई से लगातार छठी बार नीतिगत दर में वृद्धि की. इससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानाओं में ब्याज दर बढ़ने का सिलसिला बना हुआ है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि आमतौर पर होम लोन और मकान तथा अन्य संपत्ति पर लिये गये कर्ज को लेकर ब्याज दर का जोखिम जुड़ा है.
जानिए क्या कहा ICRA ने
उसने कहा कि नीतिगत दर में लगातार वृद्धि को देखते हुए वित्तीय संस्थानों ने मकान गिरवी रखकर जो कर्ज दिया हुआ है, उसकी वसूली को लेकर कुशलता प्रभावित होने की संभावना है. साथ ही कर्जदार ऐसे कर्ज को लौटाने को प्राथमिकता दे रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि क्षेत्र के लिये परिदृश्य मजबूत रहने के साथ वसूली कुशलता बेहतर बने रहने की उम्मीद है.
हालांकि, वैश्विक स्तर पर जो अनिश्चित माहौल है, उसका अभी आकलन करना मुश्किल है. इक्रा के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों की वसूली कुशलता चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में 97 से 105 प्रतिशत रही.
रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को लगातार छठीं बार रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी. मौद्रिक नीति बैठकके बाद उन्होंने कहा कि दुनियाभर में बढ़ती महंगाई का दबाव भारत पर भी है और इस पर पूरी तरह काबू पाने के लिए एक बार फिर कर्ज की ब्याज दरें बढ़ाना जरूरी हो गया है. हालांकि, इस बार रेपो रेट में सिर्फ 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है.
गवर्नर ने बताया कि महंगाई अगले वित्तवर्ष में भी परेशान करेगी और उसे दायरे में रखने के लिए रेपो रेट बढ़ाना जरूरी है. हालांकि, इस बार ब्याज दरों में सिर्फ 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जा रही है और अब रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पहुंच गया है. मई, 2022 से रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है और इस दौरान 6 बार ब्याज दरें बढ़ाई गईं. इसका सीधा असर होम, ऑटो, पर्सनल सहित तमाम तरह के लोन पर पड़ेगा और इसकी ब्याज दरें भी बढ़ जाएंगी. रिजर्व बैंक के ताजा फैसलों के बाद ईएमआई पर कितना असर होगा, इसे साधारण कैलकुलेशन के जरिये समझते हैं.