हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही मुश्किलों का सामना कर रहे अडाणी समूह ने अगले महीने तक 4,000 करोड़ रुपये (50 करोड़ डॉलर) का लोन चुकाने की बात कही है. समूह ने यह बयान बैंकों के उस कदम के बाद दिया है जब कई बैंकों ने अडाणी समूह को रीफाइनेंसिंग से इनकार कर दिया था. इससे पहले हिंडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) के दावों के बाद अडाणी समूह के कारोबार पर दुनियाभर में असर पड़ने लगा था.
cnbctv18 के मुताबिक, बार्कलेस पीएलसी, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी और डच बैंक ने अडाणी को 4.5 अरब डॉलर (करीब 36 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज दिया था. यह लोन Holcim Ltd की सीमेंट इकाई को खरीदने के लिए दिया गया था, जिसका एक हिस्सा 9 मार्च को बकाया है. समूह ने कहा है कि ब्रिज लोन के एक हिस्से के रूप में करीब 50 करोड़ डॉलर का भुगतान अगले महीने कर दिया जाएगा. बैंकों ने समूह को दोबारा लोन देने से फिलहाल इनकार कर दिया था.
…तब लोन देने को थे तैयार
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के एक सप्ताह पहले तक बैंक अडाणी समूह को रीफाइनेंसिंग के लिए तैयार थे. लेकिन, रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद समूह की साख पर तमाम सवाल उठे जिससे कंपनी के स्टॉक में भी बिकवाली शुरू हो गई. रिपोर्ट से विदेशी बैंकों पर सबसे ज्यादा असर दिखा और उन्हें समूह को लोन देने में हिचकिचाहट होने लगी. टोटल एनर्जी ने भी अडाणी समूह के साथ अरबों डॉलर के अपने प्रोजेक्ट को फिलहाल रोक दिया है.
निवेशक कर रहे संपत्तियों की समीक्षा
MSCI इंक ने कहा है कि वह अडाणी की कुछ प्रतिभूतियों की समीक्षा कर रहा है, जबकि जापान के एसेट मैनेजर ने भी समूह में किए अपने निवेश और उसके असर को लेकर समीक्षा करनी शुरू कर दी है. यह विदेशी निवेशकों की ओर से एक संकेत है कि अडाणी के शेयरों में आगे भी दबाव रह सकता है.