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उरी-पुलवामा हमलों ने बदल दिया भारत का रुख; अब दुनिया देखती है नया तेवर

ठीक 4 साल पहले 14 फरवरी की ही तारीख थी, दोपहर का वक्त था, तभी जम्म-कश्मीर के पुलवामा से बहुत बुरी ख़बर आई. जैश-ए-मोहम्मद के फिदायीन आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवान शहीद हो गए थे. आत्मघाती हमलावरों ने विस्फोटकों से लदी कार CRPF के काफिले से टकरा दी थी. हमला इतना भीषण और हमले के बाद का मंजर इतना दर्दनाक था कि जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गई. लेकिन इस हमले के बाद जो कुछ हुआ, उसने ना सिर्फ भारत का नया इतिहास लिखा बल्कि जम्मू-कश्मीर के साथ पूरे देश को बदलकर रख दिया.

पूरी दुनिया ने हिन्दुस्तान को एक अलग और नए अंदाज में देखा. जो कल तक भारत को एक सॉफ्ट स्टेट कहते नहीं थकते थे, वो ही अब भारत के इस बदले रूख से बगले झांकने लगे. ये पहला मौका था जब युद्ध के हालात ना होते हुए भी भारतीय वायुसेना के विमानों ने सीमापार किया और दुश्मन को करारा जवाब दिया था, जो वीर जवानों की शहादत के बदले के लिए जरूरी था.

करारा जवाब देने वाला नया भारत
भारत के प्रति दुनिया के नजरिए में ये बदलाव क्यों आया? इसकी चर्चा मैं आगे करुंगा, उससे पहले यहां एक और हमले का जिक्र करना जरूरी है क्योंकि दोंनों ही हमलों के बाद भारत ने दुनिया के सामने एक नज़ीर पेश की. नज़ीर ये कि भारत किसी को छेड़ेगा नहीं लेकिन किसी ने छेड़ने की जुर्रत की तो छोड़ेगा भी नहीं. पुलवामा हमले के करीब ढाई साल पहले 18 सितंबर 2016 के तड़के सीमापार पाकिस्तान से घुसे बुजदिल आतंकियों ने उरी में सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में सोए हुए जवानों पर गोलियां बरसाई, ग्रेनेड दागे. इस कायराना हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे. हमले में शामिल चारों आतंकी मार गिराए गए लेकिन उनके आकाओं को सबक मिलना अभी बाकी था.

पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया
उरी आतंकी हमले के 10 दिन बाद यानी 28 सितंबर 2016 को ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. ठीक इसी तरह पुलवामा हमले के 12 दिन बाद ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुसकर एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया, आतंकियों के कई बड़े आकाओं, उनके ट्रेनिंग कैम्प्स को ध्वस्त कर दिया.

पीएम मोदी के फैसलों ने साबित किया कि भारतीय सेना किसी से कम नहीं
सीमापार बैठे देश के दुश्मनों के खिलाफ इन दोनों स्ट्राइक्स ने भारत के जवाब देने के तरीके का रुख बदल दिया. हालांकि, मोदी सरकार के लिए ये काफी मुश्किल भरा कदम था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इन फैसलों से ये साफ कर दिया कि भारत पारंपरिक लड़ाई साथ मॉडर्न वॉरफेयर में दुनिया की दूसरी पेशेवर सेनाओं से जरा भी कमतर नहीं है.