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5 कारणों से Income Tax की नजरों में चढ़ते हैं लोग, फिर शुरू होती है स्क्रूटनी, खंगाले जाते हैं पुराने रिकॉर्ड

इस दौरान आयकर विभाग आपको अलग-अलग धाराओं के तहत नोटिस भी भेज सकता है. 2 तरह के स्क्रूटनी प्रोसेस होते हैं. पहला मैनुअल और दूसरा अनिवार्य यानी कंपल्सरी. पहले टाइप की स्क्रूटनी से कुछ चीजों का ध्यान रख कर बचा सकता है. अक्सर लोग ऐसी 5 गलतियां करते हैं जिसकी वजह से उनका आईटीआर फॉर्म रडार पर आ जाता है.

ITR न भरना- कई बार तो आईटीआर न भरने के लिए भी आपको विभाग नोटिस भेजता है. अगर आपकी आय एग्जम्पेटेड लिमिट से ऊपर है तो आपके लिए आईटीआर भरना जरूरी है. अगर आप भारतीय नागरिक हैं लेकिन आपके पास कोई विदेशी एसेट है तो भी आपको आईटीआर भरना है भले ही उससे कितनी भी कमाई हो. इससे बचने का तरीका है कि आईटीआर जरूर फाइल करें.

TDS में गड़बड़ी- आपके द्वारा रिटर्न में भरा गया टीडीएस और जहां वह भर गया है उस जगह पर भुगतान में अंतर अगर दिखता है तो आपको नोटिस आ जाएगा. इसके लिए हमेशा पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वाकई में कितना टीडीएस कटा था और तभी ही उसे रिटर्न में डालें

अघोषित आय- आप एक वित्तीय वर्ष में जो भी कमा रहे हैं उसे आईटीआर में जरूर बताया गया होना चाहिए. सेविंग अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट और रेकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को कई बार लोग छुपा लेते हैं. अपने बैंक से ब्याज की स्टेटमेंट मांगे और उसे आईटीआर में डालें. किसी भी अन्य सोर्स से प्राप्त आय का जिक्र उसमें करें.