लद्दाख और हिमाचल प्रदेश को जोड़ने वाली अहम ‘शिंकुन ला सुरंग’ को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही, सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organization) ने तेजी दिखाते हुए एक हफ्ते के अंदर ही परियोजना के लिए बोलिया आमंत्रित कर दी है. बीआरओ का कहना है कि 1504 करोड़ लागत वाली इस परियोजना को पूरा करने के लिए 4 साल की समयसीमा तय की गई है. इस परियोजना के तहत 4.1 किमी लंबी एक दिशा में जाने वाली 2 लेन की (यानी आने-जाने की अलग-अलग सुरंग) दो सुरंगों (कुल लंबाई 8.2 किमी) का निर्माण किया जाएगा, इसके साथ ही इस परियोजना में 400 मीटर का एक जगह से दूसरी जगह पार करने के लिए रास्ता और करीब 2.4 किमी लंबा एक अप्रोच रोड भी शामिल होगा. इसके जरिये दारचा-पदम सड़क (एनएच-301) पर राष्ट्रीय सड़कमार्ग 03 और जन्सकार वैली आकर जुड़ेंगे. दरअसल दारचा, मनाली-लेह राजमार्ग पर केयलोंग (लाहौल-स्पीति जिला मुख्यालय) से करीब 25 किमी की दूरी पर बसा एक छोटा सा गांव है. वहीं पदम, जन्सकार, लद्दाख का जिला मुख्यालय है.
यह परियोजना इस लिहाज से भी बहुत अहम है, क्योंकि इसकी बदौलत सेना की टुकड़ी, और हथियारों को पूरे साल, किसी भी मोसम में लद्दाख में ले जाने और ले आने के लिए सहूलियत रहेगी. चीन के साथ सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है, ऐसे में इस सुरंग के बन जाने से सेना को एक नया आत्मविश्वास मिलेगा. शिंकुन ला सुरंग लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में पहुंच का सबसे छोटा मार्ग होगा. हिंदुस्तान टाइम्स में पिछले हफ्ते प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि यह सड़क इसलिए भी अहम हो जाती है, क्योंकि यह पाकिस्तान और चीन की लंबी दूरी वाली मिसाइलों से सुरक्षित है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने न्यूज18 को बताया कि भले ही बीआरओ ने बोली से जुड़े दस्तावेज में 4 साल की समयसीमा तय की है, लेकिन पिछले हफ्ते हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे 2025 तक पूरा करने के लिए परियोजना में तेजी लाने का प्रयास करने की बात कही गई है. चूंकि यह परियोजना एलएसी और एलओसी पर किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में सेना को तुरंत पहुंचाने में मददगार होगी, इसलिए बीआरओ को इस 4.1 किमी लंबी सुरंग को प्राथमिकता से बनाने का काम सौंपा गया है.
सुरंग की विशेषताएं
यह सुरंग विभिन्न सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित होगी, जिसमें प्रत्येक 150 की दूरी पर आपातकाली स्टेशन और जलापूर्ति की व्यवस्था रहेगी, इसके साथ ही सड़क संकेत, यातायात संकेत, सार्वजनिक घोषणा प्रणाली, सीसीटीवी और 24×7 काम करने वाले नियंत्रण केंद्र, आपातकालीन बिजली आपूर्ति, यातायात प्रबंधन और गश्ती दलों की सुविधा भी रहेगी. यही नहीं सुरंग में पर्याप्त वैंटिलेशन का भी ध्यान रखा जाएगा. सुरंग में यूनि-डायरेक्शनल (एक तरफा) ट्रैफिक व्यवस्था वाली जुड़वा सुंरगों को बनाया जाएगा, क्योंकि एक तरफा ट्रेफिक व्यवस्था से दुर्घटना के आशंका कम हो जाती है. इसके अलावा एक तरफा ट्रेफिक वेटिंलेशन सिस्टम के संचालन के लिए भी उपयुक्त होता है, क्योंकि पिस्टन प्रभाव जेट पंखों से आने वाली हवा कि गति को बनाए रखने में मदद करता है, वहीं वेंटिलेशन सिस्टम को भी काफी उन्नत बनाया जाना है. वहीं दूसरी टनल आपातकालीन सेवाओं के दौरान बचाव मार्ग और पहुंच मार्ग का काम करेगी. इससे दुर्घटनाओं या एक टनल में टूटफूट जैसी मानव-निर्मित घटनाओं के होने पर शेष टनल का आवागमन बाधित नहीं होगा.