गुजरात के अमरेली जिले में दो वर्ष के दौरान एक के बाद एक भूकंप के झटकों की झड़ी लग गई और यहां करीब 400 बार हल्के झटके दर्ज किये गये. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. भूकंप विज्ञानी इस स्थिति को ‘भूकंप स्वार्म’ कहते हैं. ‘स्वार्म’ अधिकतर छोटे स्तर के भूकंपों का क्रम होता है जो अक्सर कम समय के लिए आते हैं, लेकिन ये कई दिनों तक जारी रह सकते हैं. ये झटके अमरेली के मिटियाला गांव में भी महसूस किये गये जहां के निवासियों ने एहतियात के रूप में अपने घरों के बाहर सोना शुरू कर दिया ताकि वे किसी बड़े भूकंप से होने वाली अनहोनी से बच सकें.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मिटियाला निवासी मोहम्मद राठौड़ ने बताया कि झटके की आशंका के चलते सरपंच समेत गांव के ज्यादातर लोग रात में अपने घरों के बाहर सोने लगे हैं. सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित अमरेली जिले में ‘भूकंप स्वार्म’ के कारण को स्पष्ट करते हुए गांधीनगर स्थित भूकंपीय शोध संस्थान (आईएसआर) के महानिदेशक सुमेर चोपड़ा ने कहा कि मौसमी भूकंपीय गतिविधियों की वजह ‘टेक्टॉनिक क्रम’ और जलीय भार है. उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले दो साल और दो महीनों के दौरान हमने अमरेली में 400 हल्के झटके दर्ज किये हैं जिनमें से 86 फीसदी झटकों की तीव्रता दो से कम थी, जबकि 13 फीसदी झटकों की तीव्रता दो से तीन के बीच थी. केवल पांच झटकों की तीव्रता तीन से अधिक थी.’
उन्होंने कहा कि ‘ज्यादातर झटकों को लोग महसूस नहीं कर पाए, इसका पता केवल हमारी मशीनों को चला.’ चोपड़ा ने कहा कि ‘अमरेली समेत अधिकांश सौराष्ट्र क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र-तीन (सेस्मिक जोन-3) के तहत आता है, जो जोखिम के लिहाज से मध्यम तबाही वाली श्रेणी है. अमरेली में ‘फाल्ट लाइन’ 10 किलोमीटर तक है, लेकिन शक्तिशाली भूकंप के लिए इस लाइन का 60-70 किलोमीटर से अधिक होना चाहिए. अमरेली में सर्वाधिक 4.4 तीव्रता का भूकंप 130 साल पहले 1891 में दर्ज किया गया था. सौराष्ट्र क्षेत्र में सर्वाधिक 5.1 तीव्रता का भूकंप जूनागढ़ जिले के तलाल क्षेत्र में 2011 में दर्ज किया गया था.’