कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को पार्टी के 85वें अधिवेशन को संबोधन किया. इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा की तरह ही एक और पदयात्रा शुरू करने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ‘तपस्या’ का कार्यक्रम बनाएं, उसमें सभी लोग शामिल होंगे.
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘ये पार्टी तपस्वियों की पार्टी है… पुजारियों की नहीं. 4 महीने की तपस्या मैंने की, कांग्रेस में जान आई. यह तपस्या बंद नहीं होनी चाहिए. खरगेजी आप तपस्या का कार्यक्रम बनाइए, हम सब अपना खून पसीना देंगे और पूरा हिंदुस्तान हमारे साथ खड़ा हो जाएगा.’
कांग्रेस सांसद ने कश्मीर में हुई अपनी इस यात्रा के समापन का जिक्र करते हुए कहा, ‘हमारे पास सिर्फ 125 यात्री थे, लेकिन हजारों लोग वहां के थे और तिरंगा लहरा रहा था.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘वहां आतंकी वाला इलाका है, सीआरपीएफ के लोगों ने कहा कि हमने कभी जिंदगी में ऐसा नहीं देखा.’
‘कश्मीरियों को कांग्रेस के ऊपर भरोसा’
राहुल गांधी ने इसके साथ ही संसद में दिए पीएम मोदी के संबोधन का जिक्र करते हुए कहा, ‘पीएम ने कहा मैंने भी लाल चौक में तिरंगा फहराया था. मैं सुन रहा था कि भारत के पीएम को बात समझ नहीं आई. मोदी जी ने बीजेपी के 15 या 20 लोगों के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहराया, जबकि भारत जोड़ो यात्रा में लाखों कश्मीरी युवाओं ने तिरंगा लहराया.’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने दावा करते हुए कहा, ‘हमने किसी को नहीं कहा, लाखों लोगों ने अपने आप कश्मीर में तिरंगा लहराया. कश्मीरियों ने कहा कि हम तिरंगा लेकर चल रहे, क्योंकि आपने हमारे ऊपर भरोसा किया.’
वहीं इस दौरान एक कश्मीरी लड़के के साथ हुई अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘कश्मीर में एक लड़के ने पूछा जब हमें चोट लगती है तो बाकी हिंदुस्तान को खुशी क्यों होती है. मैंने उससे कहा कि ये सही नहीं है, करोड़ों लोग आपके दर्द के साथ खड़े हैं.’
‘कांग्रेस सत्याग्रही, बीजेपी सत्ताग्राही’
राहुल गांधी ने इसके साथ चीन को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सत्याग्रही है, जबकि बीजेपी सत्ता ग्राही जो सत्ता के लिए किसी के सामने झुक जाते हैं. राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा, ‘विदेश मंत्री ने कहा कि चीन की इकॉनमी हमसे मजबूत है, इसलिए हम उनसे लड़ नहीं सकते. तो क्या अंग्रेजों की इकॉनमी हमसे कमज़ोर थी. यानी जो आपसे मज़बूत है उसके सामने नहीं लड़ना… ये तो कायरता है.