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होता क्‍या है निवेश का वेंचर कैपिटल मॉडल, क्‍यों नारायण मूर्ति ने बताया पोंजी स्‍कीम…इसकी 5 बड़ी खामियां

इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) ने वेंचर कैपिटिलिस्‍ट्स को उद्यमियों के बीच हर कीमत पर वृद्धि के पीछे दौड़ने वाली संस्कृति पैदा करने का दोषी माना है. उन्‍होंने कहा कि निवेश का वेंचर कैपिटल (Venture Capital) मॉडल पोंजी स्‍कीम की तरह है. वेंचर कैपिटल मॉडल केवल रेवेन्‍यू पर जोर देता है, मुनाफे पर नहीं. यह किसी भी लिहाज से सही नहीं है. इससे एंटरप्रेन्‍योर को बचना चाहिए. मूर्ति नैसकॉम टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम 2023 से इतर एक अनौपचारिक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

गौरतलब है कि वेंचर कैपिटल फर्म निजी फंड होते हैं. ये आमतौर पर उभरते स्टार्टअप में निवेश करते हैं जिनमें उच्च विकास की क्षमता होती है. ऐसे फंड में निवेशक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां या हाई नेटवर्थ वाले व्‍यक्ति होते हैं. वेंचर कैपिटल हाई-रिस्क हाई-रिटर्न मॉडल पर कार्य करता है. अगर कोई स्टार्टअप विफल हो जाता है, तो वेंचर कैपिटल द्वारा किया गया संपूर्ण निवेश बट्टे खाते में डाल दिया जाता है. वेंचर कैपिटल आमतौर पर जिस स्‍टार्टअप में निवेश करते हैं, वे उसे ज्‍यादा रेवेन्‍यू अर्जित करने के लिए प्रेरित करते हैं.

क्‍यों बताया पॉन्‍जी स्‍कीम?
स्नैपडील के सह-संस्थापक कुणाल बहल के साथ बातचीत में मूर्ति ने कहा कि उद्यम में पैसा लगाने वाले निवेशक कहते हैं कि वे सीरीज बी में हैं. फिर सीरीज सी में चले जाते हैं. जब उन्‍हें लाभ हो रहा होता है तो वे अपने शेयर दूसरों को बेच निकल लेते हैं. लेकिन सीरीज जेड के साथी के पास बस टीन का खाली डिब्‍बा बचता है. बिजनेस में रेवेन्‍यू पर जोर होता है, मुनाफे पर नहीं. इससे स्‍टार्टअप शुरू करने वाले को बाद में दिक्‍कत आती है.

इंतजार का फल मीठा
मूर्ति ने कहा कि स्‍टार्टअप शुरू कर चुके युवा उद्यमियों का मार्गदर्शन करने की जिम्‍मेदारी बड़े लोगों की है. हमें युवाओं को समझाना होगा कि सफलता के लिए उन्‍हें इंतजार करना पड़ेगा. छोटी और मध्य अवधि में बलिदान आपको समय के साथ बहुत अधिक प्रतिफल देगा. यह इन्फोसिस की कहानी रही है.

अब पीछे हट रहे हैं वेंचर कैपिटल
भारतीय स्‍टार्टअप में पैसा लगाने से अब वैचर कैपिटलिस्‍ट पीछे हट रहे हैं. वर्ष 2021 में 40 अरब डॉलर से अधिक की रकम स्‍टार्टअप में डालने वाले वीसी ने अपना निवेश कम कर दिया. जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022 के दौरान रकम जुटाने के मामले में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई.