आयुर्वेद सहित होम्योपैथी, सिद्धा, यूनानी, नेचुरोपैथी आदि प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ा रहा आयुष आज भारत के हर व्यक्ति के जीवन में पहुंच चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को आम लोगों तक पहुंचाने का विजन आज जमीन पर दिखाई दे रहा है. इन चिकित्सा पद्धतियों का न केवल सभी लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयोग कर रहे हैं बल्कि आज यह रोजगार और व्यापार का भी बड़ा सोर्स बनता जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2025 तक आयुष का बाजार 70 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान जताया गया है और इसकी झलक अब मिलना भी शुरू हो गई है.
हाल ही में भारत में पहला ‘एससीओ बी2बी सम्मेलन और पारंपरिक चिकित्सा पर एक्सपो’ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है. सिर्फ इसी एक सम्मेलन में विश्व भर से आए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच दो दिनों की बैठकों के बाद ही करीब 590 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापार की संभावना बन गई है. भारत की प्राचीन चिकित्सा को लेकर न केवल भारत बल्कि ताजिकिस्तान, आर्मेनिया, उज्बेकिस्तान, मंगोलिया, कजाकिस्तान, बहरीन और श्रीलंका जैसे देशों ने व्यापार के लिए अपनी जाहिर करना बताता है कि आने वाले समय में आयुष का कब्जा अंतरराष्ट्रीय बाजार पर होने वाला है.
सौंदर्य प्रसाधनों में बढ़ रहा आयुष का दखल
खास बात है कि पीएम मोदी के आयुष को पुश करने की कोशिशों के बाद से ही बाजार में आयुष व्यापार का दायरा उत्साहजनक बना हुआ है. यह भारतीय आयुष बाजार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. पारंपरिक औषधीय उत्पादों के परिधि में, आयुर्वेदिक दवाओं, हर्बल न्यूट्रास्यूटिकल्स, आयुर्वेदिक सौंदर्य प्रसाधनों आयुर्वेदिक जैल और तेल, कैप्सूल, आयुर्वेदिक हेयर रेमेडी उत्पादों, न्यूट्रास्यूटिकल्स, आयुर्वेदिक होम केयर और स्वच्छता और पशु चिकित्सा उत्पादों जैसी उत्पाद श्रेणियों में व्यापार की रुचि तेजी से बढ़ रही है.
सस्ती और अच्छी हेल्थकेयर का विजन होगा पूरा
पारंपरिक चिकित्सा और व्यापार के बीच बढ़ रही यह दोस्ती अच्छी और सस्ती हेल्थकेयर की दिशा में बेहतरीन कदम साबित हो सकती है. यह आयुर्वेदिक सहित अन्य दवाओं की गुणवत्ता की बेहतरीन श्रंखला पैदा करेगी, साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत में तैयार हो रहे आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, नेचुरोपैथी के प्रोडक्ट्स को बाजार प्रदान करेगी. ऐसे में यह रोजगार और व्यापार के क्षेत्र में छा जाने की शुरुआत है.