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कमलम यानि ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढावा देकर किसानों की आय बढ़ाएगी मोदी सरकार

खेती आज भी देश में रोजगार का एक बड़ा और महत्वपूर्ण साधन है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा से किसानों के कल्याण, उत्थान और उनके सर्वांगीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. उनके कल्याण के लिए कई क्रांतिकारी योजनाएं जैसे पीएम किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, नैनो फर्टिलाइजर को प्रोत्साहन, श्रीअन्न की खेती, नेचुरल फार्मिंग को जन-आंदोलन बनाने आदि का शुभारंभ किया है.

किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास
मोदी सरकार किसानों को आर्थिक रुप से सशक्त करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है. इसमें उन्नत बीजों और उर्वरकों का प्रयोग, नकदी और आर्गेनिक फसलों को प्रोत्साहन, पशुओं की बेहतर नस्लो का पालन, दूध और मछली उत्पादन, किसान रेल का शुभारंभ आदि शामिल है. किसानो की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत मोदी सरकार दिन रात अभिवन प्रयास कर उन्हें सशक्त करने में जुटी है. इसी चरण में मोदी सरकार ने कमलम (ड्रैगन फ्रूट) की खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने की योजना बनाई है.

कमलम (ड्रैगन फ्रूट) आखिर क्यों है खास
पिताया के नाम से प्रसिद्ध कमलम औषधीय गुणों से भरा एक फल है. जिसका मूल उत्पादन साउथ मैक्सिको, सेंट्रल अमेरिका और साउथ अमेरिका में प्रारंभ हुआ. इसे “21वीं सदी का चमत्कारिक फल” भी कहा जाता है. भारत में इसकी खेती में हाल के वर्षो में तेजी से विस्तार हुआ है और कर्नाटक, केरल,तमिननाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार, मिजोरम और नागालैंड में इसकी खेती की जा रही है. देश में फिलहाल 3 हजार हेक्टेयर से अधिक एरिया में ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही. देश में तेजी से इसकी मांग बढ़ रही है और घरेलू उत्पादन से इसका मांग पूरी नहीं हो पा रही है. आज थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम और श्रीलंका से कमलम का आयात कर घरेलू मांग पूरी की जा रही है.

कमलम के आयात कम करने की योजना
भारत में वर्ष 2017 में 327 टन कमलम का आयात हुआ था जो 2019 में बढ़कर 9,162 टन हो गया. इसके वर्ष 2021 में 15,491 टन का अनुमान लगाया गया था. मोदी सरकार ने इस आयात को कम करने और देश में किसानों की आय को बढ़ाने के लिए एक नई योजना को मंजूरी दी है. इस योजना के तहत कमलम की खेती के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है. योजना में आगामी 5 सालों में कमलम के उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाकर 50 हजार हेक्टेयर किया जाएगा.

कृषि मंत्रालय ने इंडियन इंस्टीटयूट आफ हॉर्टीकल्चर रिसर्च (IIHR) द्वारा सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना को मंजूरी दी है. यह सेंटर कमलम के उत्पादन, पोस्ट-हार्वेस्ट और वैल्यू एडिशन पर जोर देगा. यह केंद्र अंतर्राष्ट्रीय मानको के अनुसार अत्याधुनिक प्रोडक्शन टैक्नालॉजी, आफ सीजन में उत्पादन और अधिक उत्पादन के लिए भी काम करेगा.

कमलम की खेती के प्रति किसानों में बढ़ती रुचि और मोदी सरकार के इस बारे में प्रोत्साहन से कमलम की खेती नए क्षेत्रों में भी होगी और घरेलू खेती के माध्यम से आयात को तेजी से कम किया जा सकेगा.