सोशल मीडिया पर रॉयटर्स की एक रिपोर्ट तेजी से वायरल हो रही है. वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि भारत स्मार्टफोन के लिए नए सिक्योरिटी टेस्टिंग की योजना बना रहा है और पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप्स पर कार्रवाई करेगा. हालांकि सरकार ने इस दावे को खारिज किया है. इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrasekhar) ने बुधवार को ट्वीट कर मीडिया रिपोर्ट में किए जा रहे दावों को खारिज किया.
क्या है वायरल दावे की सच्चाई
केंद्रीय मंत्री ने अपने ट्विटर पर रॉयटर्स की खबर का लिंक शेयर किया है और कैप्शन में लिखा है कि यह स्टोरी पूरी तरह से गलत है. जैसा कि कहानी से पता चलता है, कोई ‘सिक्योरिटी टेस्टिंग’ या ‘क्रैकडाउन’ नहीं है. इस कहानी में शायद समझ की कमी है और ये असीमित रचनात्मक कल्पना पर आधारित है जो BIS मानक IS17737 (भाग-3) 2021 के मोबाइल सिक्योरिटी गाइडलाइंस पर मंत्रालय और इंडस्ट्री के बीच चल रही परामर्श प्रक्रिया पर आधारित है. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. सरकार इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को ग्रो करने का प्लान कर रही है ताकि 2026 तक 300 बिलियन डॉलर के आंकड़े को हासिल किया जा सके.
भारत सरकार की प्रेस एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी (PIB) ने भी इस वायरल दावे की जांच की है और इसकी सच्चाई को सामने लाकर रख दिया है. राजीव चंद्रशेखर के ट्वीट को कोट करते हुए पीआईबी ने अपने फैक्ट चेक अकाउंट से ट्वीट कर कहा कि यह रिपोर्ट भ्रामक है.
मीडिया रिपोर्ट में क्या दावा
मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार के नए सिक्योरिटी नियमों के तहत फोन बनाने वाली कंपनियां जल्द नए फोन में पहले से मिलने वाले प्री-इंस्टॉल ऐप्स को रिमूव करने की सुविधा देंगी. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र था कि सरकार ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) अपडेट्स की स्क्रीनिंग करेगी.