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बच्‍चों में तेजी से फैल रही ये बीमारी, कोरोना से भी ज्‍यादा खतरनाक

एक तरफ देश में कोरोना बढ़ता जा रहा है. रोजाना 10 हजार से ज्‍यादा मामले सामने आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर छोटे बच्‍चों में अलग ही बीमारी देखने को मिल रही है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है बच्‍चों में उल्‍टी-दस्‍त की शिकायत बढ़ रही है. अस्‍पतालों की ओपीडी में रोजाना छोटे बच्‍चे पहुंच रहे हैं. जहां कोरोना के मरीज हल्‍के लक्षणों वाले हैं और घर पर भी ठीक हो रहे हैं वहीं डायरिया, वायरल या उल्‍टी-दस्‍त से पीड़‍ित बच्‍चों को अस्‍पतालों में भर्ती करने की नौबत आ रही है.

आगरा के सरोजनि नायडू मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्‍स विभाग में प्रोफेसर डॉ. दयाल कहते हैं यह मौसम बीमारियों वाला है. तापमान तेजी से बढ़ रहा है. लिहाजा इस समय छोटे बच्‍चों में उल्‍टी, दस्‍त और सर्दी-खांसी की परेशानी के सबसे ज्‍यादा केस सामने आ रहे हैं.

क्‍या ये हैं कोरोना के लक्षण?
डॉ. दयाल कहते हैं कि यह सीजनल बीमारी है लेकिन कोरोना नहीं है. जैसा कि देखा जा रहा है कि अस्‍पताल की ओपीडी में जो भी बच्‍चे उल्‍टी-दस्‍त, खांसी बुखार के आ रहे हैं वे कोरोना पॉजिटिव नहीं हैं. इनमें अधिकांश वायरल फीवर के मरीज हैं.

पेरेंट्स क्‍या करें
. बच्‍चों को इस मौसम में कुछ देर पहले से रखे हुए कटे फल न खिलाएं. खासतौर पर जूस वाले फल जैसे तरबूज आदि.
. इस मौसम में बाहर गर्मी में से आए फल तुरंत काटकर न दें. उन्‍हें थोड़ी देर पानी में डालकर रखें.
. बच्‍चों को गंदा पानी पीने के लिए न दें. साफ और फिल्‍टर किया हुआ पानी दें. पानी उबालकर और ठंडा करके भी पिला सकते हैं.
. अप्रैल के महीने में दोपहर के समय गर्मी तेज पड़ रही है. उस समय बच्‍चे को ठंडक में रखें. बाहर न लेकर जाएं या न निकलने दें.
. बाहर से आकर सीधे एसी में न बैठें या एसी से निकालकर बच्‍चे को सीधे धूप के संपर्क में आने से रोकें.
. वहीं जो लोग एसी इस्‍तेमाल करते हैं वे सिर्फ दोपहर के समय ही इसका यूज करें. सुबह और शाम ठंडा मौसम में है तो उस दौरान सामान्‍य पंखे में भी रह सकते हैं.