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दुनिया के कई हिस्सों में दिख रहा पूर्ण सूर्य ग्रहण

आज यानी 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग गया है. साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या पर लगा है, जिसे हाइब्रिड ग्रहण भी कहा जा रहा है. आज 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर लग गया. यह ग्रहण दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे 24 मिनट की रहने वाली है. यह ग्रहण वैशाख मास की अमावस्या को अश्विनी नक्षत्र में मेष राशि में लगा है. पंचांग के मुताबिक, सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि पर लगता है. यह एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होगा, जो 100 साल बाद बना है. 100 सालों में एक बार हाइब्रिड सूर्य ग्रहण लगता है. यह निंगालू सूर्य ग्रहण है क्योंकि इसका संबंध आस्ट्रेलिया के निंगालू तट से है.

क्यों खासा दुर्लभ है यह सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण निश्चित तौर पर खासा दुर्लभ होता है. सूर्य ग्रहण तो तकरीबन साल में कई बार देखने को मिल जाते हैं मगर हाइब्रिड सूर्य ग्रहण हर दशक में केवल एक बार ही होता है. इसे निंगालू या संकर सूर्य ग्रहण भी कहते हैं. दरअसल ये ग्रहों के बीच परफेक्ट गणितीय दूरी की स्थिति है. मतलब चंद्रमा और सूर्य की पृथ्वी से दूरी जब एक निश्चित अनुपात में आ जाती है तो बीच में चंद्रमा आ जाता है तो ये खगोलीय घटना होती है.
कैसे देख सकते हैं सूर्य ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग
नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा आज सुबह से इस दुर्लभ सूर्य ग्रहण का टेलीस्कोप व्यू ऑनलाइन दिखा रहा है. नासा के वैज्ञानिक इसके सा​थ ही आपको सूर्य ग्रहण से संबंधित जानकारी भी देंगे. नासा के अलावा पर्थ वेधशाला सुबह 7 बजे से इस निंगालू सूर्य ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग कर रही है.

क्या सूतक काल का प्रभाव होगा?
भारत में आज का सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं दे रहा है. यही वजह है कि सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. यहां जानना जरूरी है कि सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है और फिर इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ वर्जित रहते हैं. मंदिरों के कपाट तक नहीं खोले जाते. ज्योतिषशास्त्रों और मान्यताओं के मुताबिक, किसी भी ग्रहण को अशुभ घटनाओं में गिना जाता है. यही वजह है कि जब भी सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं होती हैं तो इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.