प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्य्रकम का 100वां एपिसोड रविवार को होगा. उसे लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आयुष के महत्व पर खुलकर बात की. पीएम ने लोगों से आयुर्वेद को जीवन में अपनाने का आग्रह किया था. मन की बात के जरिए आयुष सेक्टर को मिला 8 गुना बढ़ावा मिला है. इससे प्रेरणा लेकर आयुष मंत्रालय ने अपने आधिकारिक प्रकाशन केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान पत्रिका में एक नया संस्करण प्रकाशित किया है. इसका नाम जर्नल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज रखा गया है.
आयुष मंत्री सर्बानन्द सोनोवाल ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम में 40% जगह आयुष को दी है, जिससे आयुष सेक्टर में प्रगति हुई और मनोबल बढ़ा है. परंपरागत चिकित्सा पद्धति को आगे बढाने में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम ने बड़ा योगदान दिया है. मन की बात कार्यक्रम की वजह से आयुष पर लोगों का विश्वास बढ़ रहा है. शुक्रवार को आयुष मंत्रालय ने सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज, जर्नल ऑफ रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज के आधिकारिक शोध प्रकाशन का एक विशेष संस्करण भी लॉन्च किया जो आयुष क्षेत्र पर ‘मन की बात’ के प्रभाव पर केंद्रित है. पत्रिका आयुष क्षेत्र पर “मन की बात” के प्रभाव पर प्रकाश डालती है और बताती है कि कैसे आयुष देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य को लेकर एक बुनियादी स्तंभ बन रहा है.
मन की बात में 37 आयुष का उल्लेख
‘मन की बात’ एपिसोड में से लगभग 37 में आयुष का उल्लेख किया गया है. प्रधानमंत्री ने नागरिकों से स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, योग का अभ्यास करने और साक्ष्य आधारित आयुर्वेद को अपनाने और आयुर्वेद जीवन शैली को अपनी जीवन शैली में अपनाने का आग्रह किया था. आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री के प्रयासों के परिणामस्वरूप, न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के लाभों के बारे में जागरूकता में वृद्धि हुई है.
पत्रिका में आयुष क्षेत्र पर ‘मन की बात’ के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है और बताया गया है कि कैसे आयुष देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य हस्तक्षेप का एक मौलिक स्तंभ बन रहा है. 7 संभावित क्षेत्रों यानि नीति और सार्वजनिक स्वास्थ्य, विज्ञान और साक्ष्य, स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता, योग और स्वास्थ्यवृत्ति (जीवन शैली, व्यायाम, भोजन, पोषण), कोरोना के खिलाफ युद्ध, उद्योग और अकादमिक सहयोग और वैश्वीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर प्रसिद्ध विशेषज्ञों के कुल 24 लेख शामिल हैं.