फाइनेंशियल एडवाजर हमेशा सलाह देते हैं कि रिटायरमेंट के पहले पीएफ अमाउंट नहीं निकालना चाहिए. सरकार ने नियम भी इस हिसाब से ही बनाएं हैं कि कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद ही यह फंड निकाले ताकि उसे नौकरी के बाद किसी तरह की वित्तीय दिक्कतों का सामना न करना पड़े. लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में पीएफ अमाउंट (PF Amount) पहले भी निकाला जा सकता है. पीएफ का पैसा बीच में निकालने पर टैक्स भी देना पड़ता है. जानिए क्या हैं इससे जुड़े काम के नियम.
इम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड एक्ट 1952 के अनुसार कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा पीएफ में जाता है. ईपीएफओ का नियम कहता है कि अगर आपने पुराने नियोक्ता के साथ 4.5 साल तक लगातार नौकरी की है तो दूसरी जॉब पकड़ने पर आप पीएफ खाते की अपनी पूरी रकम नए नियोक्ता के साथ खोले गए अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं. अगर कर्मचारी नया पीएफ खाता खोले जाने के बाद पुराने खाते से अपने पैसों की निकासी करता है तो इसकी भी छूट इनकम टैक्स एक्ट में दी गई है और इस रकम पर किसी तरह का टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा.
PF अकाउंट को मर्ज करना है जरूरी
जब आप एक नया काम शुरू करते हैं, तो आपको ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) से एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्राप्त होता है. आपका नियोक्ता इस यूएएन के तहत एक पीएफ खाता खोलता है, आप और आपकी कंपनी दोनों इसमें हर महीने योगदान करते हैं. जब आप नौकरी बदलते हैं, तो आप अपना यूएएन नए नियोक्ता को प्रदान करते हैं, जो बाद में उसी यूएएन के तहत एक और पीएफ खाता खोलता है. अपने पिछले पीएफ खाते को बाद में खोले गए नए अकाउंट के साथ मर्ज करना जरूरी होता है.
कब देना होता है टैक्स
अगर आपके PF अकाउंट से 5 साल के बाद निकासी की जाती है तो यह पूरी तरह टैक्स फ्री होता है. अगर, 5 साल से पहले निकासी करते हैं तो यह टैक्सेबल हो जाता है. 5 साल से पहले अगर प्रोविडेंट फंड से पैसा निकाला जाता है और सब्सक्राइबर का PAN Card लिंक्ड नहीं है तो 20 फीसदी कटेगा. वहीं अगर आपका पीएफ अकाउंट पैन से लिंक्ड है तो TDS 10 फीसदी कटेगा.