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देश को नई संसद की सौगात, हवन-पूजा और सेंगोल की स्थापना, 10 पॉइंट्स में जानें कार्यक्रम में क्या-क्या हुआ

प्रधानमंत्री मोदी सुबह 7.30 बजे नए संसद भवन पहुंचे. वह पारम्परिक परिधान धोती-कुर्ता और अंगवस्त्र धारण किए हुए थे. द्वार संख्या-एक से संसद परिसर के भीतर आए और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका स्वागत किया. इसके तुरंत बाद, वह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पूजा के लिए बैठे.
प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष ने नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर ईश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए कर्नाटक के श्रृंगेरी मठ के पुजारियों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ‘गणपति होमम्’ अनुष्ठान किया. प्रधानमंत्री ने ‘सेंगोल’ (राजदंड) को दंडवत प्रणाम किया और हाथ में पवित्र राजदंड लेकर तमिलनाडु के विभिन्न अधीनमों के पुजारियों का आशीर्वाद लिया.
इसके बाद ‘नादस्वरम्’ की धुनों के बीच प्रधानमंत्री मोदी सेंगोल को नए संसद भवन लेकर गए और इसे लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के दाईं ओर एक विशेष स्थान में स्थापित किया. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, एस. जयशंकर और जितेंद्र सिंह, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे. पी. नड्डा मौजूद रहे.
प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ कर्मचारियों को भी सम्मानित किया. इसके बाद कई धर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस सर्वधर्म सभा में बौद्ध, जैन, पारसी, हिंदू, सिख, ईसाई, इस्लाम समेत कई धर्मों के प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं.
पुराना संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था और अब यह 96 साल पुराना है. वर्षों से, यह वर्तमान समय की आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया था. कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दौरान भी तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने नए संसद भवन की आवश्यकता पर बल दिया था और तबकी सरकार से इस दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए संसद भवन की आधाारशिला रखी थी. नए संसद भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए लोकसभा कक्ष में 1,280 सांसदों को समायोजित किया जा सकता है.
नए भवन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री देश भर से मंगाई गई है. सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई थी, जबकि लाल और सफेद बलुआ पत्थर राजस्थान के सरमथुरा से लाया गया था. कालीन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर और भदोही से आए हैं.
त्रिपुरा के बांस से नई संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा कक्ष के फर्श बने हैं, और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी के साथ, नया संसद भवन भारत की विविध संस्कृति को दर्शाता है. केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक घटना को चिह्नित करने के लिए 75 रुपये के स्मारक सिक्के की घोषणा की है.
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा निर्मित, नए संसद भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान कक्ष, सांसदों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान है.
त्रिकोणीय आकार की इस चार मंजिला इमारत में 64,500 वर्ग मीटर का निर्मित क्षेत्र है. इसके तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार – और वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं.