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तापमान बढ़ने से अस्पतालों में हीट स्ट्रोक, उलटी, बेहोशी, BP और किडनी के मरीज बढ़े, जानें खुद और बच्चों का ख्याल कैसे रखें

दिल्ली-एनसीआर में तापमान (Delhi-NCR Temperature) बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों (Patients in Hospitals) की संख्या भी बढ़ गई है. खासकर हीट स्ट्रोक (Heat Stroke), उलटी (Vomiting), बेहोशी (Fainting), ब्ल्ड प्रेशर कम होने की शिकायतें और किडनी फैल्योर (Blood Pressure and kidney Failure) के मामले बढ़ने लगे हैं. पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के बड़े अस्पतालों एम्स (AIIMS), एलएनजेपी (LNJP), सफदरजंग और आरएमएल अस्पतालों (Safdurjung and RML Hospitals) में मरीज बढ़े हैं. दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में गर्मी से जुड़ी परेशानियों के कारण ओपीडी में 20 फीसदी मरीज बढ़ गए हैं. दिल्ली के इन बड़े अस्पतालों के ओपीडी में हर रोज 5 से 7 प्रतिशत ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनको गर्मी से जुड़ी परेशानियों की वजह से बीमारी बढ़ गई है.

दिल्ली का तापमान पिछले सप्ताह से बढ़ गया है. इस वजह से लोग बेहोश हो रहे हैं और कुछ को तो उल्टियां और बीपी की शिकायत शुरू हो गई है. कुछ लोग पेशाब नहीं आने से अस्पताल में आ रहे हैं. इन मरीजों रक्तचाप कम होने की वजह से एक्यूट किडनी फेल होने की समस्या देखी जा रही है. इसके साथ मेडिसिन ओपीडी में गर्मी की वजह से डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों के मरीजों की संख्या में 20 फीसदी तेजी आई है.

दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में मरीजों की संख्या में आई तेजी
दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टरों ने इस मौसम में विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं. इस मौसम में बहुत ज्यादा डिहाईड्रेशन से हीट स्ट्रोक हो सकता है. इससे खून गाढ़ा होने और रक्तचाप कम हने पर हार्ट स्ट्रोक औऱ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टरों का मानना है कि अगर मरीज को हीट स्ट्रोक के बाद बेहोशी, पसीना और कमजोरी महसूस हो तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें.

क्या कहते है्ं डॉक्टर
नोएडा के प्रकाश अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर अभिषेक कुमार कहते हैं, ‘देखिए अधिकतर मामलों में हीट सट्रोक तब होता है जब आपका शरीर उच्च तापमान में अत्यधिक परिश्रम के कारण ज्यादा गर्म हो जाता है. लेकिन, गर्मी में बिना परिश्रम करने वाले लोगों को भी हीट स्ट्रोक आ सकता है. इसलिए छोटे बच्चों, बुजुर्गों और मधुमेह जैसे बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. इस स्थिति में तापमान अधिक होने से आपके शरीर का तापमान 103 से 105 डिग्री फॉरेनहाइट तक पहुंच जाता है. हार्ट फेल्योर और शॉक लगने के तुरंत बाद आपका किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है.’