विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का भारतीय शेयर बाजारों में निवेश का सिलसिला जून में लगातार चौथे महीने जारी है. देश की मजूबत अर्थव्यवस्था और ग्रोथ के सकारात्मक माहौल के बीच जून में अबतक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में 16,405 करोड़ रुपये का निवेश किया है. यह जानकारी डिपॉजिटरी के आंकड़ों से प्राप्त हुई है. एफपीआई ने मई में शेयरों में 43,838 करोड़ रुपये का निवेश किया था. यह उनके निवेश का नौ माह का सर्वोच्च स्तर था.
अप्रैल में उन्होंने शेयरों में 11,631 करोड़ रुपये और मार्च में 7,936 करोड़ रुपये डाले थे. इससे पहले जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने शेयरों से 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी. गौरतलब है कि विदेशी निवेश आना स्वस्थ अर्थव्यवस्था का संकेत होता है. जहां एक तरफ दुनिया मंदी और मांग में कमी से जूझ रही है, वहीं भारत इससे बचा हुआ है. कई बैंकों व वित्तीय संस्थानों की रिपोर्ट भी यह दिखा चुकी है कि भारत में मंदी का दौर अभी दूर-दूर तक नहीं है.
क्या है तेजी की वजह
वित्तीय सलाहकार कंपनी क्रेविंग अल्फा के चीफ पार्टनर मयंक मेहरा ने कहा, ‘‘मौजूदा निवेश के रुझान को देखते हुए उम्मीद है कि एफपीआई की रुचि पूरे जून महीने में भारतीय बाजारों के प्रति बनी रहेगी.’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक सुधार, कंपनियों की सकारात्मक आय और अनुकूल नीतिगत माहौल की वजह से एफपीआई का भारतीय बाजारों में सकारात्मक प्रवाह जारी रहेगा.
चिंता का विषय
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं जिसकी वजह से मूल्यांकन को लेकर चिंता पैदा हो सकती है. इसके अलावा सख्त नियामकीय नियमों की वजह से भी भारतीय बाजार में विदेशी पूंजी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है.’
अन्य विदेशी निवेश
आंकड़ों के मुताबिक, एक से 16 जून के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 16,406 करोड़ रुपये का निवेश किया. शेयरों के अलावा एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि में ऋण या बॉन्ड बाजार में भी 550 करोड़ रुपये डाले हैं. इस साल यानी 2023 में अबतक विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में 45,600 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं. वहीं बॉन्ड बाजार में उनका निवेश 8,100 करोड़ रुपये रहा है.