रायपुर , छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल तथा पाथेय साहित्य एवं प्रकाशन संस्थान जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में गोविंद दास सुहाने के महावीर नगर स्थित आवास पर आचार्य अमरनाथ त्यागी की अध्यक्षता , डॉ.माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ के मुख्य आतिथ्य एवं राजेश जैन ‘राही ‘तथा मुकेश गुप्ता के विशिष्ट आतिथ्य में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। माँ शारदे की पूजा – वंदना एवं अतिथियों के सत्कार के पश्चात जबलपुर से प्रकाशित गोविंद दास सुहाने की कृति ‘प्रभु प्रेम माधुरी -प्रकृति प्रेम माधुरी’ एवं श्रीमती उमा सुहाने कृत ‘ मनका सुंदरकांड ‘ का विमोचन संपन्न हुआ । इस अवसर पर जबलपुर से पधारे साहित्यकार राजेश पाठक ‘प्रवीण’ एवं श्रीमती रश्मि पाठक द्वारा सुहाने- दंपति का सम्मान शाल, श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र देकर किया गया। काव्य गोष्ठी का प्रारंभ करते हुए गोविंद दास सुहाने ने कृष्ण भक्ति पर अपना एक गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भक्ति मय कर दिया – मत डारो श्याम रंग गाढ़ो। मोरी भीगी जाए चुनरिया। सारी रैन नींद नहीं आवै कहां मिले सांवरिया।भक्ति रस के इस अविरल प्रवाह में आचार्य अमरनाथ त्यागी ने अपने महाकाव्य कृष्ण चरित मानस से पाठ किया – रजनीगंधा जब खिले, होय रात में गंध।श्याम प्राण में यूं बसे आठों पहर सुगंध। डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने गजल – जिसमें ढालोगे मैं उसमें ढल जाऊंगा , नेह दोगे मुझे मैं पिघल जाऊंगा । दिल में रहने की मेरी तमन्ना नहीं ,चंद लोगों की आंखों में पल जाऊंगा। प्रस्तुत कर सदन की वाहवाही लूटी। राजेश जैन राही ने राम विषयक छंद एवं मुकेश गुप्ता ने क्षणिकाओं के माध्यम से भाव विभोर कर दिया। विमोचन एवं काव्य गोष्ठी में राजधानी के जिन साहित्यकारों एवं गणमान्य नागरिकों ने सहभागिता निभाई उनमें आचार्य अमरनाथ त्यागी, डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’, राजेश जैन ‘राही’ ,मुकेश गुप्ता, गोविंददास सुहाने, उमा सुहाने, अभिषेक सुहाने, आनंद सुहाने, प्रकाश सेठ, पंडित विनीत त्रिपाठी, गिरीश सिंह ,अनूप बाजपेयी, नवनीत श्रीवास्तव, कुणाल चंद्राकर के नाम प्रमुख हैं। अंत में उमा सुहाने ने गरिमामयी उपस्थिति के लिए सभी का हृदयतल से आभार व्यक्त किया।