समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर सोमवार को ससंदीय समिति की बैठक हुई. अबतक 19 लाख लोग समिति को इस संबंध में अपने सुझाव भेज चुके हैं. बैठक के दौरान कुछ सदस्यों ने सरकार पर आरोप लगाए कि जल्दबाजी मे इसे लाया जा रहा है. समिति के कुछ सदस्यों का कहना था कि सिर्फ एक फैमिली लॉ नहीं बनाया जाना चाहिए. यह समाज के हर धर्म, जाति, समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है. लिहाजा इसको ध्यान में रखना जरूरी है. बताया गया कि इस मुद्दे पर समिति अभी कोई फैसला या आदेश नहीं दे रही है. फिलहाल UCC पर चर्चा के माध्यम से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या कुछ किया जा सकता है.
एक सदस्य ने सिख समुदाय के लोगों का जिक्र करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता से सिखों की शादी के लिए आनंद मैरिज एक्ट पर भी असर पड़ेगा. बैठक के दौरान शिवसेना, बसपा और टीआरएस ने समान नागरिक संहिता का विरोध किया. UCC के संबंध में ऐसे सुझाव भी आए हैं कि नई व्यवस्था में आदिवासी समुदाय पर इसका असर ना पड़े. खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों में. संसदीय स्थाई समिति (कानून एवं न्याय) की बैठक में कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि लॉ कमीशन ने खुद ही माना कि यह जरूरी नही, फिर लॉ कमीशन को सुनने का फायदा क्या है?
कौन है समिति के सदस्य?
दरअसल समान नागरिक संहिता पर साल 2018 में लॉ कमीशन का कंसलटेटिव पेपर सदस्यों को दिया गया था. कांग्रेस सांसद विवेक तंखा ने चिट्ठी में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई आपत्तियां बताई. रिपोर्ट में जो अलग-अलग समुदाय, धर्मों और क्षेत्रों में अलग-अलग पर्सनल लॉ का जिक्र किया इसके बारे में भी तंखा ने लिखा है. UCC की ससदीय समिति में कुल 31 लोग हैं जिसमें बीजेपी के सुशील मोदी, रमेश पोखरियाल ( निशंक), बहुजन समाज पार्टी के मलूक नागर, शिव सेना के संजय राऊत, कांग्रेस के विवेक तन्खा, महेश जेठमलानी समेत अन्य सदस्य, लॉ कमिशन के सचिव और कानून मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल हैं,