भारत में 2046-47 तक मध्य वर्ग का आकार बढ़कर दोगुना हो सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले ढाई दशकों के दौरान 6 से 7 प्रतिशत के बीच बनी रही तो देश में मध्य वर्ग का आकार 2020-21 के 31 प्रतिशत से बढ़कर 2046-47 में 61 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. देश में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने से भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में शामिल हो जाएगा.
पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) और इंडियाज सिटीजन एनवायरनमेंट की बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. ‘द राइज ऑफ इंडियाज मिड्ल क्लास’ शीर्षक नाम से प्रकाशित रिपोर्ट प्राइस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है. प्राइस ने आईसीई के 360 के जरिये पूरे देश में सर्वेक्षण कर ये आंकड़े जुटाए हैं. यह नवीनतम रिपोर्ट देश के 25 राज्यों के 40,000 परिवारों की प्रतिक्रिया पर आधारित हैं.
2047 तक मीडिल क्लास का साइज बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा
मध्य वर्ग 2020-21 में 432 मिलियन लोगों से बढ़कर 2030-31 में 715 मिलियन (47 प्रतिशत) और वर्ष 2047 तक भारत की अनुमानित कुल आबादी 1.66 अरब में मध्यम वर्ग का आकार बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा. चूंकि मध्यम वर्ग में कौन आता है इसकी कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए प्राइस ने 2020-21 की कीमतों के आधार पर सालाना 1.09 लाख से 6.46 लाख रुपये अर्जित करने वाले लोगों को भारतीय मध्य वर्ग के रूप में परिभाषित किया है. पारिवारिक आय के आधार पर यह आंकड़ा सालाना 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक माना गया है.
रिपोर्ट के अनुसार कुल क्रय शक्ति में बढ़ोतरी से भारत दुनिया का सबसे बड़े बाजारों में शुमार हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है, इस दशक के अंत तक देश की आबादी की संरचना बदल जाएगी. देश की आबादी की नई संरचना कुछ इस तरह होगी कि निम्न आय वर्ग मध्य वर्ग का हिस्सा बन जाएगा. इस तरह, एक ऐसा ढांचा खड़ा होगा जिसमें सबसे नीचे कमजोर आय वर्ग के लोग रहेंगे और बीच में मध्य वर्ग की भारी भरकम मौजूदगी होगी. सबसे ऊपर धनाढ्य लोगों का एक बड़ा समूह होगा.