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नए डाटा प्रोटेक्शन बिल की 10 बातें, जिनमें हो सकता है EU और अमेरिकी कानून का समावेश

को मानसून सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है. अभी इस बिल का मसौदा सार्वजनिक नहीं हुआ है. नवम्बर 2022 में जारी हुए ड्राफ्ट बिल पर 21 हजार से ज्यादा सुझाव मिले हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद Digital Personal Data Protection Bill 2023 (DPDPB) को मानसून सत्र में संसद में पेश किया जायेगा. अभी इस बिल का मसौदा सार्वजनिक नहीं हुआ है, इसलिए नवम्बर 2022 में जारी हुए ड्राफ्ट बिल के अनुसार प्रावधानों के कयास लगाये जा रहे हैं. इस बिल पर 21 हजार से ज्यादा सुझाव मिले हैं जिन्हें अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया. प्रधानमंत्री के अनुसार भारत में दुनिया के 40 फीसदी डिजिटल लेनदेन हो रहे हैं. आईटी मंत्री के अनुसार भारत में 80 करोड़ की आबादी डिजिटल नागरिक हैं जो बहुत जल्द 120 करोड़ हो जायेंगे. 2022 में भारत में साइबर सुरक्षा से जुड़ी 14 लाख घटनायें दर्ज हुईं जबकि हकीकत में लाखों Cyber Crimes रोजाना हो रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) और ChatGPT जैसे नये प्लेटफार्म का अस्तित्व तो डाटा के अनाधिकृत इस्तेमाल पर ही आधारित हैं. 5 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था में डिजिटल की बड़ी भूमिका होने की वजह से यह विधेयक StartUp, पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों, ग्राहक और टेक कम्पनियों समेत देश और दुनिया के लिए बहुत अहम होगा. इसके 10 अहम कानूनी पहलुओं को समझने की जरुरत है-

1. यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 194 देशों में 137 देशों में डेटा सुरक्षा कानून बन गया है. खबरों के अनुसार नये विधेयक में यूरोपियन यूनियन (EU) के GDPR के सख्त मानकों के साथ अमेरिकी डेटा प्रशासन के लचीलेपन का समावेश है. यूरोपियन यूनियन ने अमेजन, ऐप्पल, गूगल, फेसबुक, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और टिक-टॉक जैसी सात बड़ी टेक कम्पनियों को Gatekeeper का दर्जा देकर सितम्बर से उन पर सख्त कानून लागू करने की घोषणा की है.

2. भारत में फोन और मोबाइल के संचालन के लिए तीन पुराने कानून- Telegraph Act 1885, Wireless एक्ट-1933 और टेलीग्राफ वायर्स एक्ट-1950 हैं. उनकी जगह नये टेलीकॉम कानून के मसौदे पर काम हो रहा है. इंटरनेट के आने पर सन् 2000 में IT Act बना. उसकी जगह पर अब Digital India का कानून बन रहा है.

3. सन् 2017 में पुट्टुस्वामी मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत Privacy के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर मान्यता मिल गई है. उसके अनुसार व्यक्तिगत डेटा के लिए 2019 में डेटा सुरक्षा बिल पेश हुआ, जिसे अगस्त 2022 में वापस लेने के बाद नये सिरे से पेश किया जा रहा है. Non Personal Data के इस्तेमाल के लिए सरकार अलग से कानून बनायेगी.

4. यह देश का पहला ऐसा आधुनिक कानून है, जहां स्त्रियों से जुड़े ‘Her’ और ‘She’ जैसे सर्वनामों का इस्तेमाल सभी के सम्बोधन के लिए किया गया है. इसके पहले सभी कानूनों में पुरुषवाची ‘He’ और ‘His’ शब्द का इस्तेमाल होता था. Contract Act के अनुसार बालिग लोग ही कानूनी सहमति दे सकते हैं और भारत में बालिग होने की उम्र 18 साल है. इसलिए 18 साल से कम उम्र के बच्चों से जुड़े मामलों में कम्पनियों को अभिभावक की सहमति लेनी होगी. टेक कम्पनियां इसे 16 साल करने पर जोर दे रही थीं.