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नदियों में बाढ़ के बाद भी नहर-रजवाहे सूखे, धान किसानों की बढ़ी मुसीबत, डीजल पंपों से कर रहे हैं सिंचाई

देश के कई इलाकों में नदियां उफान पर हैं. शहर के शहर डूबे हुए हैं. सड़कों पर गाड़ियां, घर, सामान और पशु बहते हुए नजर आ रहे हैं. यह बात अजीब लग सकती है कि बाढ़ प्रभावित ज्यादातर शहरों के आसपास के गांव सूखे से जूझ रहे हैं. गांव के बम्बे और रजवाहे सूखे पड़े हैं. किसान डीजल पंपों से खेतों की सिंचाई करके फसल बचाने की असफल कोशिश कर रहे हैं. सवाल यह उठता है कि आखिर माजरा क्या है, जब नदियां ओवर फ्लो हैं तो बम्बे और रजवाहे सूखे क्यों हैं.

दिल्ली में यमुना में आई बढ़ा ने राजधानी में हा-हाकार मचाया हुआ है. यमुना का उफान दिल्ली ही नहीं आगे चलकर मथुरा और आगरा को भी अपनी चपेट में लिए हुए है. मथुरा की बात करें तो वृंदावन और मथुरा की गलियों में यमुनाजी का पानी घुस आया है. वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर तक पानी पहुंच गया है. ये तस्वीर है मथुरा के शहरों की, लेकिन मथुरा के गांवों का दौरा किया जाए तो यहां पानी की बूंद-बूंद के लिए किसान तरस रहे हैं. यहां कि नहरें और रजवाहों में पानी नहीं होने से धान की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं. ना आसमान में पानी है और ना ही रजवाहों में. फसल बचाने के लिए किसान डीजल पंपों से सिंचाई कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या डीजल पंपों से सिंचाई के बल पर धान की फसल की जा सकती है.

यह हाल अकेले मुखराई गांव का नहीं है. जुल्हैदी, बसौती, अडींग, पालई सहित आसपास के तमाम गांव सूखे की मार झेल रहे हैं. सुबह-शाम किसानों के पास केवल किसी तरह धान बचाने की चर्चा रहती है. किसान इस बात से भी अचम्भे में हैं कि जब यमुनाजी में बाढ़ आई हुई है तो उसका पानी नहरों और रजवाहों में क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है.

उधर, मौसम विभाग के आंकड़े भी कहते हैं कि देश के 221 जिले सूखे से जूझ रहे हैं. इन जिलों में 20 जून तक 20-70 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है.

मुआवजे का आज भी इंतजार
किसान हर कदम पर ठोकर खा रहा है. पिछले साल धान की कटाई के वक्त हुई बेमौसम बारिश से किसान बुरी तरह से बर्बाद हुआ था. मथुरा जिले की बात करें तो यहां बड़ी मात्रा में किसानों की धान की फसल चौपट हुई थी. नवंबर-दिसम्बर में खेतों में पानी खड़ा होने से गेहूं की बुआई देर से हुई थी. मुखराई गांव के किसान बताते हैं कि बीमा एजेंसी से टीम आई थी, सर्वे किया गया, और हर किसान से उगाही भी की गई. भरोसा दिया गया कि जल्द ही मुआवजा मिल जाएगा. मुआवजा तो दूर जेब से उल्दी उगाही भी चली गई.