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चाइना बॉर्डर पर जोड़ने वाला लिपुलेख रोड हुआ खतरनाक, आवाजाही पर लगी रोक, आदि कैलाश यात्रा पर संकट

मानसरोवर यात्रा बंद होने के बाद इस साल आदि कैलाश यात्रा से पर्यटन कारोबार को खासी उम्मीद थी. लेकिन, इन उम्मीदों को धारचूला-लिपुलेख रोड की खस्ताहाली ने पूरी तरह खत्म कर दिया है. चाइना बॉर्डर को जोड़ने वाली इस रोड पर आए दिन हो रहे भारी लैंडस्लाइड ने यात्रा पर पूरी तरह विराम लगा दिया है.

इस साल जून में कई दफा रोड बंद होने के बाद भी तीन हजार से अधिक यात्रियों आदि कैलाश पहुंचे थे. लेकिन, जुलाई में ये आंकड़ा दो सौ के पार भी नहीं पहुंच पाया. बीते एक महीने में लिपुलेख रोड 90 फीसदी मौकों पर लैंडस्लाइड के कारण बंद ही रही है. धारचूला व्यापार संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र थापा का कहना है कि लगातार रोड बंद होने से पर्यटन कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया है. जिस कारण इससे जुड़े लोगों को खासा नुकसान भी हुआ है.

रात में आवाजाही पर लगानी पड़ रही है रोक
आदि कैलाश यात्रा प्रभावित होने से 6 सौ से अधिक लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आया है. होटल कारोबारियों के साथ ही टूर ऑपरेटर और होम स्टे संचालकों को भी लिपुलेख रोड की बद्हाली ने खासा निराश किया है. 4 मई से शुरू हुई आदि कैलाश यात्रा के दौरान 60 फीसदी मौकों पर रोड पूरी तरह बंद रही है. रोड की खस्ताहाली से ऊपरी इलाकों को माइग्रेट होने वालों को भी खासी दिक्कतें उठानी पड़ी हैं. अब तो हालात तो ये हैं कि प्रशासन को रात के समय आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगानी पड़ रही है.

लगातार लैंडस्लाइड से बढ़ती जा रही परेशानी
डीएम रीना जोशी का कहना है कि लगातार हो रहे लैंडस्लाइड को देखते हुए रात में आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगानी पड़ रही है. अब इस रोड पर शाम 8 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी तरह की यात्रा नहीं हो पाएगी. खतरनाक हो चुके रोड को देखते हुए इनरलाइन पास भी जारी नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में लिपुलेख रोड ने सैलानियों को तो निराश किया ही है. साथ ही पर्यटन कारोबार को भी खासा नुकसान पहुंचाया है. यही नहीं चीन और नेपाल बॉर्डर पर बसे सुरक्षा बलों को भी कई दिक्कतें उठानी पड़ी हैं. अब देखना ये है कि बीआरओ अपनी कमियों को कब दूर कर पाता है, ताकि इस रोड टिकी हजारों जिंदगियों के दिन बहुर सके.