भारत समेत दुनियाभर में मंगलवार की रात सुपरमून (Supermoon 2023) देखा गया. यह इस महीने का पहला सुपरमून था. खगोल वैज्ञानिक देबीप्रसाद दुआरी ने बताया कि चंद्रमा 27.3 दिनों में एक बार सबसे बड़ी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. इस दौरान अपनी कक्षा में किसी बिंदु पर चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होगा, उस बिंदु को अपोजी कहा जाता है. और किसी दूसरे समय में वो पृथ्वी के सबसे करीब होगा, जिसे पेरिगी कहा जाता है.
देबीप्रसाद दुआरी ने बताया कि अंतिम बार एक ही महीने में दो सुपरमून 2018 में देखे गए थे और ऐसी अगली घटना 2037 में देखी जाएगी. सुपरमून का नजारा दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु और पंजाब में दिखाई दिया, लेकिन बादलों की घनी चादर के कारण कोलकाता में लोग सूपरमून देखने से चूक गए.
वहीं चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, पृथ्वी से सुपरमून सामान्य पूर्णिमा की तुलना में सात प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देता है.
बता दें कि पृथ्वी और उसके चंद्रमा के बीच की औसत दूरी 3,84,000 किमी है. पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, इस वजह से ये दूरी बदलती रहती है और यह न्यूनतम 3,56,000 किमी से लेकर अधिकतम 4,04,000 किमी तक हो सकती है.
खगोल वैज्ञानिक देबीप्रसाद ने बताया कि मंगलवार की रात चंद्रमा पृथ्वी से 3,57,530 किमी की दूरी पर था. उन्होंने कहा कि 30 अगस्त को चंद्रमा और भी करीब होगा. तब पृथ्वी से उसकी दूरी महज 3,57,344 किलोमीटर होगी. इस दौरान ‘ब्लू मून’ दिखाई देगा.
बता दें कि इससे पहले जून के महीने में भी एक सुपरमून देखने को मिला था, जिसे स्ट्रॉबेरी मून का नाम दिया गया. ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्ट्रॉबेरीज की खेती के दौरान पड़ा था. दूसरा और तीसरा सुपरमून अगस्त के महीने में पड़ रहा है, जिसे स्टर्जन मून और ब्लू मून के नाम से जाना जा रहा है. साल का आखिरी सुपरमून देखने का मौका सितंबर में मिलेगा.