चंद्रयान -2 की ही तरह चंद्रयान – 3 के लैंडर और रोवर के नाम विक्रम और प्रज्ञान रखे गए हैं. इसमें लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है तो चांद की सतह पर उतरने के बाद इससे निकलने वाले रोवर को प्रज्ञान का नाम. चूंकि पिछला मिशन चांद की सतह पर काम करने में कामयाब नहीं हो पाया था, लिहाजा इस नाम को फिर से रिपीट किया गया है.
पिछली बार चंद्रयान-2 के गिर जाने और नष्ट हो जाने से विक्रम और प्रज्ञान काम ही नहीं कर पाए थे. अब इसरो ने चंद्रयान-3 में ऐसी तकनीक विकसित की है कि ये यान तभी सतह पर उतरेगा, जब उसे उतरने लायक जगह मिले. इसके लिए इसमें अतिरिक्त ईंधन की व्यवस्था भी की गई है.
असल में, चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर उस सतह के संबंध में अध्ययन करना है. वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रमा की इस सतह पानी की बर्फ और धूप की प्रचुरता है.
माना जा रहा है कि भविष्य में मंगल मिशन के लिए इसका अध्ययन काफी लाभदायक साबित होगा. इस मिशन की एक और खूबी ये है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इससे पहले किसी और स्पेस एजेंसी ने पहुंचने की हिम्मत नहीं की है.
क्या है लैंडर विक्रम और क्या करेगा?
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर काम करना शुरू कर देगा. लैंडिंग के कुछ मिनट बाद ये इसरो को पहली तस्वीर भेजेगा. फिर जब तक ये चांद पर रहेगा तब तक काम करता रहेगा.