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अर्ध सैनिक बलों के सामने नई चुनौती! 2 साल में 38% बढ़े मनोरोग के मामले, गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में दी जानकारी

गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यसभा में अर्धनसैनिक बलों के भीतर मनोरोग (Psychiatric) से ग्रसित जवानों के आंकड़ों की जानकारी दी. मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में मनोरोग रोगियों की कुल संख्या 2020 में 3,584 से बढ़कर 2022 में 4,940 हो गई है, जो कि रिपोर्ट किए गए मनोरोग मामलों में लगभग 38 प्रतिशत की वृद्धि है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सेंट्रल ऑर्म्ड पुलिस फोर्स में जैसे बीएसएफ, एसएसबी, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, असम राइफल्स (एआर) और सीआईएसएफ के रोगी जवानों का नियमित रूप से इलाज कराया जा रहा है. जवानों को लगातार मनोचिकित्सकों, क्लिनिक ​​​​मनोवैज्ञानिकों और काउंसलर की सेवा दी जा रही है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा, “आईटीबीपी में पांच, बीएसएफ में चार, सीआरपीएफ में तीन और एसएसबी और एआर में एक-एक मनोचिकित्सक डॉक्टर हैं.” राय के अनुसार, 2021 में सीएपीएफ में 3,864 मामले सामने आए थे. उन्होंने बताया, “CRPF में 2020 में कुल 1,470 मनोरोग रोगी थे, 2021 में 1,506 और 2022 में 1,882. जबकि असम राइफल्स में 2020 में 351, 2021 में 509 और 2022 में 530 मरीज थे. CISF में, 2020 में 289, 2021 में 244 और 2022 में 472 मरीज थे. ITBP में 2020 में 215, 2021 में 300 और 2022 में 417 मरीज थे. वहीं एसएसबी में, 2020 में 186 मरीज थे, 2021 में 246 और 2022 में 312, मरीज थे.

2018 से 2022 तक 658 आत्महत्याओं का विवरण साझा करते हुए, राय ने कहा कि सीआरपीएफ में 230 कर्मियों, बीएसएफ में 174 कर्मियों, सीआईएसएफ में 91 कर्मियों, एसएसबी में 65 कर्मियों, आईटीबीपी में 51 कर्मियों और एआर में 47 कर्मियों ने अपनी जान दी. राय ने कहा कि सभी सीएपीएफ द्वारा कई सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “पता लगाए गए मामलों का उचित इलाज किया जा रहा है और यदि आवश्यक हो, तो विस्तृत जांच के लिए मामलों को अच्छी तरह से सुसज्जित अस्पतालों में विशेषज्ञों के पास भेजा जाता है. समय-समय पर फॉलो-अप किया जाता है, प्रत्येक कार्मिक के स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखा जाता है और समय-समय पर समीक्षा की जाती है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि तनाव और चिंता को कम करने के लिए योग को शारीरिक प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है, यूनिट स्तर पर पैरामेडिकल स्टाफ जल्द से जल्द मामलों की पहचान करता है और शीघ्र हस्तक्षेप और उपचार शुरू करता है. कर्मियों की तनाव परामर्श सभी स्तरों के साथ-साथ सीमा चौकियों (बीओपी) पर भी की जा रही है. गृह राज्य मंत्री, अजय कुमार मिश्रा ने राज्यसभा को बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) और उसके संगठनों, जिनमें सीएपीएफ और दिल्ली पुलिस जैसे केंद्रीय पुलिस संगठन शामिल हैं, में 1.14 लाख से अधिक रिक्त पद हैं.