देश

ये नया भारत है, न थकता है और न रुकता है…’ लाल किले से क्या-क्या बोले PM मोदी, जानें स्पीच की खास बातें

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के मौके पर लाल किले (Red Fort) से देश को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि ‘ये नया भारत (New India) है…आत्मविश्वास से भरा हुआ भारत है, ये संकल्पों को चरितार्थ करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भारत है. इसलिए ये भारत… न रुकता है, न थकता है, न हांफता है और न ही ये भारत हारता है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि कोविड के बाद एक नया ग्लोबल ऑर्डर, एक नया जियो- पॉलिटिकल इक्वेशन, बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. बदलते हुए विश्व को आकार देने में आज मेरे 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्य नजर आ रहा है.’

पीएम मोदी ने कहा कि ‘हमारे देश में 25 साल से चर्चा हो रही थी कि नई संसद बने, लेकिन ये मोदी है…समय के पहले नई संसद बना के रख दिया. ये काम करने वाली सरकार है, निर्धारित लक्ष्यों के साथ काम करने वाली सरकार है. आज भारत पुरानी सोच, पुराने ढर्रे को छोड़ करके, लक्ष्यों को तय करके, लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चल रहा है. जिसका शिलान्यास हमारी सरकार करती है, उसका उद्घाटन भी हम अपने कालखंड में ही करते हैं. देश में रेल आधुनिक हो रही है तो वंदे भारत ट्रेन भी आज देश के अंदर काम कर रही है.’

अपनी आंखें खोलने का समय
पीएम मोदी ने कहा कि ‘अब समय आ गया है कि हम अपनी आंखें खोलें. अब समय आ गया है कि हम अपने संकल्पों और क्षमताओं को पहचानें. इन सबको फलीभूत करने के लिए, हमें तीन बुराइयों से लड़ने की जरूरत है- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण. अगर सपनों को सिद्ध करना है और संकल्प को पार करना है तो हमें तीन बुराइयों से लड़ना होगा. पहली लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है, दूसरी लड़ाई परिवारवाद के खिलाफ है और तीसरी लड़ाई तुष्टिकरण के खिलाफ है. ये बुराइयां लोगों और देश का शोषण करती हैं. हमें यथासंभव बड़े प्रयासों से इन्हें जड़ से उखाड़ने की जरूरत है.’

भ्रष्टाचार ने हमारे देश को दीमक की तरह नोंच लिया
पीएम मोदी ने कहा कि ‘भ्रष्टाचार ने हमारे देश को दीमक की तरह नोंच लिया है…लेकिन ये मोदी के जीवन का कमिटमेंट है…कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा. दूसरा, परिवारवाद ने हमारे देश को नोंच लिया है. इस परिवारवाद जिस तरह से देश को जकड़ के रखा है, इसने लोगों का हक छीना है. तीसरी बुराई तुष्टिकरण की है. इस तुष्टिकरण ने देश की मूलभूत चिंतन को, हमारे राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगा दिए हैं. तहस-नहस कर दिया है. इसलिए हमें इन बुराइयों…भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण के साथ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है.’