सरकार देश के 288 जिलों के मौजूदा नेटवर्क में 56 नए क्षेत्रों को जोड़कर अनिवार्य गोल्ड हॉलमार्किंग का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है. यानी सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे में जल्द ही 56 और जिले शामिल हो सकते हैं. फिलहाल देश के 288 जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य है. सरकार का लक्ष्य है कि देश के सभी 766 जिलों में सिर्फ हॉलमार्क गोल्ड ही बिक्री के लिए उपलब्ध हो. फिलहाल सरकार के ताजा कदम से देश के सबसे ज्यादा सोने की बिक्री करने वाले 344 जिले अनिवार्य हॉलमार्किंग के दायरे में आ जाएंगे
सरकार ने अनिवार्य सोने की हॉलमार्किंग के विस्तार पर चर्चा के लिए गुरुवार, 17 अगस्त को ज्वैलर्स, एसोसिएशन और बीआईएस सहित विभिन्न पक्षधारकों के साथ एक बैठक बुलाई है. गुरुवार को विचार विमर्श पूरा होने के बाद अधिसूचना जारी हो सकती है. जानकारी है कि इस बैठक में बुलियन हॉलमार्किंग पर भी चर्चा होगी.
1 अप्रैल से लागू हो चुकी है अनिवार्य हॉलमार्किंग
सोने के आभूषणों के लिए एचयूआईडी यानी हॉलमार्क विशिष्ट पहचान की अनिवार्यता इस साल 1 अप्रैल से लागू हो चुकी है. मार्च में ही बीआईएस के महानिदेशक, प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया था कि गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से सोने को अनिवार्य प्रमाणीकरण के तहत लाने की संभावना पर सक्रिय विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार खुदरा बाजार में बेचे जाने वाले सोने के वजन को अंकित करने का आदेश ला सकती है.
क्या होगा आम जनता पर असर
आम जनता के पास पहले से ही बड़ी संख्या में पुराने हॉलमार्क वाले सोने के आभूषण मौजूद हैं, बीआईएस ने स्पष्ट किया था कि उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि एचयूआईडी केवल विक्रेताओं के लिए मान्य है, आम उपभोक्ताओं के लिए नहीं. वहीं दूसरी तरफ हॉलमार्क की अनिवार्यता से सुनिश्चित होगा की ग्राहकों को उतनी ही शुद्धता का सोना मिल रहा जितने का वो पैसा दे रहे हैं.
सोने की हॉलमार्किंग क्या है?
सोने की हॉलमार्किंग आभूषण में कीमती धातु की आनुपातिक सामग्री का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग है. हॉलमार्क सोने के आभूषणों पर मानक का निशान है. सोने के आभूषणों और अन्य संबंधित उत्पादों के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के पीछे का विचार जनता को मिलावट से बचाना और निर्माताओं को कानूनी मानक बनाए रखना है.