छत्तीसगढ़

बख्शी सृजन पीठ में मनाया गया व्यंग्यकार  हरिशंकर परसाई का जन्मशताब्दी समारोह….परसाई बख़ूबी समझते थे ग्रीटिंग कार्ड  और राशन कार्ड का फर्क ; डॉक्टर रमेश तिवारी

भिलाई नगर 22 अगस्त 2023 / छत्तीसगढ़ सरकार की संस्था पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ भिलाई नगर द्वारा  भिलाई सेक्टर -10 में  भारत के  शीर्षस्थ व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का जन्मशताब्दी समारोह मनाया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के चार  दिवंगत व्यंग्यकारों लतीफ घोंघी, त्रिभुवन पांडे, प्रभाकर चौबे और विनोदशंकर शुक्ल के व्यक्तित्व और  कृतित्व पर विस्तृत चर्चा की गई । मुख्य अतिथि डॉ.रमेश तिवारी (दिल्ली)  ने कहा कि हरिशंकर परसाई का समग्र जीवन बेचैनी भरा रहा है। मिथकों और लोक मान्यताओं को समाहित कर जो लेखन उन्होंने किया ,वह बेजोड़ है। उन्होंने कहा कि अगर जीवन में संघर्ष नहीं है, तो व्यंग्य भी नहीं हो सकता। परसाई की रचनाओं का विशद विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रीटिंग कार्ड और राशन कार्ड का फर्क वे बखूबी समझते थे। साथ ही वे दलितों, पीड़ितों की विडंबनाओं का त्रिजटा की तरह  विश्लेषण करने वाले साहित्यकार  थे। डॉ. रमेश तिवारी ने छत्तीसगढ़ के इन  चार व्यंग्यकारों को विश्वव्यापी निरूपित किया। डॉक्टर तिवारी ने कबीर ,तुलसी ,प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद और भवानी प्रसाद मिश्र के उद्धरणों से अपने कथन की पुष्टि की।

इस मौके पर व्यंग्य लेखिका डॉ. स्नेहलता पाठक (रायपुर) ने  विनोदशंकर शुक्ल पर केंद्रित वक्तव्य में कहा कि वे जितने अच्छे रचनाकार थे उतने ही बेहतर इंसान थे। उन्होंने अपनी नियुक्ति प्रकरण का हवाला देते हुए श्री शुक्ल की इंसानियत को रेखांकित किया। साथ ही उनकी रचनाओं को दैनंदिन घटनाओं से प्रेरित और कल्पनाओं से परे बताया।

व्यंग्यकार प्रभाकर चौबे के सुपुत्र जीवेश प्रभाकर (रायपुर )ने अपने पिता को उनकी रचनात्मकता और निजी जीवन में पारिवारिक जिम्मेदारी को सहज रूप से निभाने वाले पालक की तरह याद  किया। उन्होंने कहा कि एक लेखक के रूप में उन्हें याद करना भाव और भावुकता के अंतर्द्वंद्व से गुजरे हुए व्यक्ति का स्मरण करना होगा। उन्होंने उनके स्तंभ लेखन ,संपादन और परसाई से संबंधों की विस्तृत जानकारी साझा की।

व्यंग्यकार लतीफ घोंघी पर ईश्वर शर्मा (महासमुंद) ने कहा कि व्यंग्य में परिस्थिति जन्य हास्य का मिश्रण होना चाहिए जो लतीफ घोंघी ने बखूबी किया। हास्य पैदा करने के लिए वे हमेशा चुटकुलेबाजी से दूर रहे। उन्होंने व्यंग्यकार शरद जोशी के हवाले से कहा कि लेखन में समूचे आकाश को नहीं समा सकते लेकिन गली – मोहल्लों की समस्याओं को स्थान तो दे सकते हैं। लतीफ घोंघी का लेखन भी आम आदमी की समस्याओं पर केंद्रित रहा। उन्होंने लंबे कथानक के माध्यम से मुस्लिम समाज में व्याप्त समस्याओं को भी रेखांकित किया। सभा में महासमुंद से आए डॉक्टर करीम घोंघी ने भी अपने पिता स्वर्गीय लतीफ़ घोंघी से जुड़ी अपनी  स्मृतियों को साझा किया।

व्यंग्यकार त्रिभुवन पांडे पर अंचल के वरिष्ठ व्यंग्यकार विनोद साव ने कहा कि अमूमन लेखन की शुरुआत कविता ,लघुकथा आदि से होती है किंतु वे ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने लेखन की शुरुआत उपन्यास से की ।उनका उपन्यास ‘भगवान विष्णु की भारत यात्रा’ सत्तर के दशक में साहित्य रसिकों के बीच चर्चित रहा ।यह उपन्यास उन दिनों एक राष्ट्रीय पत्रिका में 36 भागों में प्रकाशित किया गया था। उनकी रचनाओं में दलित, पीड़ित ,शोषित ,श्रमिक ,महिला और मजलूमों के प्रति संवेदना का भाव स्पष्ट परिलक्षित होता था। छत्तीसगढ़ में किताबों की सर्वाधिक समीक्षा करने वाले लेखकों में उनका ही नाम है। उन्होंने उनकी प्रसिद्ध रचना ’पंपापुर की कथा’ के साथ दूसरी अन्य रचनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी।

आयोजकीय वक्तव्य में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजनपीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि देश के शीर्षस्थ व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जन्मशताब्दी के बहाने अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करते हुएआदमीयत को कायम रखने वाले रचनाकार का स्मरण करना है। उन्होंने अपनी रचना ‘आदमी और पेड़ ‘ का वाचन करते हुए बताया ,कि अगर भविष्य को जानना है तो अतीत को भी याद रखना होगा। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ व्यंग्यकार राजशेखर चौबे( रायपुर) और आभार व्यक्त कुबेर सिंह साहू ‘भोढ़िया’ ने किया। आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ,डॉक्टर देवेंद्र कुमार पाठक, डॉक्टर नलिनी श्रीवास्तव, प्रदीप वर्मा ,संतोष झांझी,विद्या गुप्ता ,कैलाश बनवासी, डॉक्टर डीपी देशमुख, डॉक्टर सुनीता वर्मा ,अनीता करडेकर ,डॉ संजय दानी ,डॉ निर्मला परगनिहा ,संजय पेंढारकर ,डॉ अनुराधा बख्शी, आलोक शर्मा ,अरविंद पांडे ,प्रफुल्ल चन्द्र पंडा, अशोक शर्मा , गुणवंत जे गुंडेचा, अपराजित शुक्ल, गिरवर दास मानिकपुरी,अविनाश सिपहा, रामसजीवन ताम्रकार,लखन लाल साहू लहर, प्रदीप भट्टाचार्य, डॉ नौशाद अहमद सिद्दीकी, शुचि ‘भवि’, आभा रानी शुक्ला , डॉ दीनदयाल साहू, एन एल मौर्या ‘ प्रीतम’, निर्मलचंद्र शर्मा, विनय शुक्ला, हितेश साहू, सनत कुमार मिश्रा  सहित  छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आए साहित्य रसिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।