पूर्वोत्तर के राज्यों में केंद्र सरकार लगातार कनेक्टिविटी बढ़ाने पर कार्य कर रही है. इसके लिए कई तरह का प्लान बनाया जा रहा है और उसे अमल में लाया जा रहा है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) सब्यसाची डे (Sabyasachi De) ने शनिवार को कहा कि उत्तर-पूर्व में बहुत जल्द अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय सीमा पार रेलवे कनेक्टिविटी होगी.
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर के इलाकों में रेलवे कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार पहली बार 1.20 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं. देश की सीमा के करीब तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के रेलवे के प्रयास के बारे में उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि हमारा ध्यान फिलहाल भारत-चीन सीमा और म्यांमार पर है. इम्फाल-मोरेह लाइन को प्रारंभिक मंजूरी दे दी गई है.
उन्होंने आगे कहा कि ‘भारत और म्यांमार के बीच चल रहे कलादान मल्टीमॉडल परियोजना को जोड़ने के लिए सैरंग-हबिछुआ रेलवे लाइन को मंजूरी दे दी गई है. वहीं, भूटान को जोड़ने वाली कोकराझार-गेलेफू रेलवे लाइन और बांग्लादेश के अखौरा तक जाने वाली रेलवे लाइन अगरतला-अखौरा रेलवे प्रोजेक्ट को जल्द ही चालू कर दिया जाएगा. उत्तर पूर्व में जल्द ही पहली अंतरराष्ट्रीय सीमा-पार रेलवे कनेक्टिविटी होगी.’
उन्होंने आगे कहा ‘बहुत सारी सीमा पार परियोजनाएं भी हैं. हमारा ध्यान मुख्य रूप से सभी सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने और हमारे इन अंतरराष्ट्रीय पड़ोसियों के माध्यम से व्यापार बढ़ाने पर भी है.’ उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान उत्तर पूर्व में बहुत ही आसानी से लॉजिस्टिक्स के सामान को लाना है. इससे जाहिर तौर पर देश के इस हिस्से में उत्पादों की लागत कम होगी और रेलवे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाएं जो उत्तर पूर्व में चल रही हैं वे राज्य राजधानी कनेक्टिविटी परियोजनाएं हैं – हम सिक्किम, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.