भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने घोषणा की है कि आदित्य एल1 के प्रक्षेपण की तैयारी सुचारू रूप से चल रही है, और शनिवार के लिए सब कुछ तैयार है. लॉन्च रिहर्सल की तस्वीरों वाली एक विज्ञप्ति में, अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपनी आंतरिक जांच पूरी कर ली है और अपने 59वें व भारत के पहले सौर मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार है.
क्या आदित्य -एल1 सूर्य पर उतरेगा? नहीं, चंद्रयान-3 के विपरीत, जहां विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की, इसके बजाय सोलर प्रोब को पृथ्वी-सूर्य प्रणाली में पहले लैग्रेंज बिंदु पर तैनात किया जाएगा. प्रारंभ में, आदित्य-एल1 को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. बाद में धीरे-धीरे इसकी कक्षा का उन्नयन किया जाएगा, और अंतत: पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलकर सूर्य के करीब एल-1 प्वॉइंट की ओर सफर शुरू करेगा.
लॉन्च से एल1 तक की यात्रा में आदित्य-एल1 को लगभग चार महीने लगेंगे और पृथ्वी से दूरी लगभग 15 लाख किमी होगी. पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3.84 लाख किमी है. इसरो ने कहा, “एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देखने का प्रमुख लाभ मिलता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अध्ययन संभव हो सकेगा.”
नासा के पार्कर प्रोब ने सूर्य को ‘छुआ’
दिसंबर 2021 में इतिहास में पहली बार किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को छुआ था. नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन या नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल, जिसे कोरोना के रूप में जाना जाता है, के माध्यम से नेविगेट किया और भीतरी कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का नमूना लिया. पार्कर प्रोब सूर्य की सतह से लगभग 7.8 मिलियन किलोमीटर दूर तक पहुंचा.
जून 2025 में अपने अनुमानित निकटतम दूरी तक जाने के दौरान, पार्कर सोलर प्रोब लगभग 692,000 किमी प्रति घंटे की आश्चर्यजनक गति से सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाएगा! यह गति इतनी तेज़ है कि नई दिल्ली से लाहौर तक की दूरी केवल दो सेकंड में पूरी की जा सकती है.