भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शनिवार को श्रीहरिकोटा स्थित सैटेलाइट लॉन्चिंग स्टेशन से सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को लॉन्च कर दिया है. अगले चार महीने यह अंतरिक्ष में सफर करने के बाद यह सूरज के निकट अपने निर्धारित स्थान लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचेगा. इस दौरान भारत का ‘आदित्य’ 1.5 मिलियन किलोमीटर का सफर करेगा. यहां बड़ा सवाल यह है कि आखिर अगले चार महीने सफर के दौरान आदित्य एल-1 क्या कुछ करेगा. इस दौरान उसे किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. आइये हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
पोलर सेटलाइट पीएसएलवी सी57 की मदद से आदित्य एल-1 को पृथ्वी से रवाना किया गया है. आज इसरो ने सबसे पहले अलग-अलग स्तर के सेपरेशन के बाद धरती की सबसे निचली कक्षा में अपने सन मिशन को स्थापित किया है. इसके बाद अगले 16 दिन तक भारत का ‘आदित्य’ पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा. चंद्रयान-3 मिशन की तर्ज पर ही एक-एक कर ऑन बोर्ड प्रोपल्शन का प्रयोग कर इसे धीरे-धीरे पृथ्वी की अन्य कक्षाओं में भेजा जाएगा. पांच चरण के प्रोपल्शन के बाद इसे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर ले जाया जाएगा.
इसरो की तरफ से बताया गया कि पृथ्वी की कक्षा से बाहर जाने के बाद इसका क्रूज फेज शुरू होगा. आदित्य एल-1 का पूरा सफर कुल 125 दिन का है. 16 दिन पृथ्वी की कक्षा में रहने के बाद भारत का सूर्य मिशन लैग्रेंज प्वाइंट-1 की तरफ अपने कदम बढ़ाएगा. अगले 109 दिनों तक बेहद तेजी से भारत का आदित्य आगे बढ़ेगा. इसके बाद बड़े कर्व व यूटर्न की मदद से सूर्य मिशन को एल-1 प्वाइंट के हेलो ओर्बिट में स्थापित कर दिया जाएगा. यहां तक पहुंचने में इसे आज से करीब चार महीने का वक्त लेगा. जनवरी के मध्य में भारत का सन मिशन अपना सफर खत्म करेगा. हालांकि रिसर्च का काम इसरो फरवरी के अंत तक ही शुरु कर पाएगा.
सूरज से कितनी दूरी से होगी रिसर्च?
भारत से पृथ्वी की दूरी 150.96 मिलियन किलोमीटर की है. आदित्य एल-1 का सफर महज 1.5 मिलियन किलोमीटर का है. यानी भारत का मिशन महज पृथ्वी से सूरज की दूरी का एक प्रतिशत रास्ता तय करने के बाद वहां की रिसर्च करेगा. आदित्य एल-1 सूरज की सबसे बाहरी परत पर निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लेकर जा रहा है. इसमें से चार पेलोड सूरज पर रिसर्च करेंगे. बाकी तीन एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र पर जांच पड़ताल करेंगे.