सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर गौर करने और जल्द से जल्द सिफारिशें देने के लिए शनिवार को कोविंद की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के गठन की अधिसूचना जारी की थी.
कानून मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने रविवार को कोविंद से मुलाकात की थी और जानना चाहा था कि वह समिति के साथ एजेंडे पर किस तरह से आगे बढ़ेंगे. कोविंद के नेतृत्व में बनी समिति एकसाथ चुनाव आयोजित कराने के बारे में संभावनाएं तलाशेगी और सिफारिशें करेगी. समिति संविधान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून एवं नियमों की पड़ताल करेगी तथा विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी क्योंकि एकसाथ चुनाव कराने के उद्देश्य से इनमें संशोधन की आवश्यकता होगी.
समिति इस बात की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. समिति त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या दलबदल अथवा एकसाथ चुनाव की स्थिति में ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण और संभावित समाधान भी सुझाएगी.
गृह मंत्री अमित शाह, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद इस समिति के सदस्य हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था. वहीं, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इसके विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.