हाल में होने वाले विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है, जिसमें आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के साथ-साथ वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल का बचाव किया है. हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा है, ‘2024 के लोकसभा चुनावों से पूर्व ईवीएम को बदनाम करने का एक और प्रयास किया जा रहा है. यह कोशिश बार-बार होती रहेगी.’
आगामी राज्य चुनावों में सभी EVM में VVPAT से गिनती करने की याचिका पर चुनाव आयोग की तरफ से यह हलफनामा दाखिल किया गया है. इस हलफनामे में चुनाव आयोग ने ADR की याचिका का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने एडीआर की याचिका को अस्पष्ट और आधारहीन बताया है. साथ ही यह भी कहा कि ईवीएम की कार्यप्रणाली पर संदेह पैदा करने का एक और प्रयास है
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अमित शर्मा के माध्यम से हलफनामा दाखिल किया है. चुनाव आयोग का अनुमान है कि EVM और VVPAT प्रणाली पर संदेह जताने वाली वर्तमान याचिका 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ऐसी आखिरी याचिका नहीं होगी. हलफनामे में कहा गया है कि, मतदाता को वीवीपैट के माध्यम से यह सत्यापित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है कि उनका वोट डाला गया है और दर्ज के रूप में गिना गया है.
चुनाव नियमों के संचालन के प्रावधान किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते हैं. सुनवाई के दौरान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा कि यह मुद्दा कितनी बार उठाया जाएगा? यह अदालत पहले ही जांच एक प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत कर चुकी है. वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया है कि ईवीएम में त्रुटियां थीं. जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्होंने कहा है कि मानवीय त्रुटियां थीं.