14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया गया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि हिन्दी भाषा ‘राष्ट्रीय एकता और सद्भावना के धागे को मजबूत करती रहेगी.’ ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का ही करिश्मा है कि आज हिंदी की पहचान दुनिया के तमाम देशो में है.
स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर 1949 के दिन ही हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था. लेकिन समय के साथ हिंदी भाषा को देश के भीतर ही वो सम्मान नहीं मिला जिसकी वो हकदार थी. हिंदी उत्तरी राज्यों के भाषा के तौर पर ही देखी जाने लगी थी. लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार ने हिंदी का पूरे देश के साथ दुनिया में सम्मान बढ़ाने का काम किया है.
प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सरकार और जनता के बीच भारतीय भाषाओं में संवाद स्थापित कर जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी तौर पर लागू किया जा रहा है. जिससे सरकार और जनता के बीच सम्बद्ध और संवाद में बढ़ोतरी हुई है.
पीएम मोदी के ही प्रयास का नतीजा है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में राजभाषा के उपयोग को बढ़ाने की दृष्टि से अब तक कुल 528 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन भी किया जा चुका है. यहां तक कि विदेशों में भी खासतौर पर लंदन, सिंगापुर, फिजी, दुबई और पोर्ट-लुई में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है. पीएम मोदी ने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिले इसके लिए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की भी पहल की है. यहां तक कि केंद्र सरकार ने हिंदी का दायरा बढ़ाने के लिए राजभाषा विभाग द्वारा ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ की भी नई परम्परा शुरू की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदी के प्रति प्यार का नतीजा है कि आज हिंदी दुनिया की तीसरी और भारत की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन गयी है. अंग्रेजी और चीन की मंदारिन के बाद दुनिया में इसी का नंबर है. हर साल 14 सितंबर को देश हिंदी दिवस के रूप में मनाता है. कांग्रेस के शासनकाल में हिंदी दिवस भी एक रस्म अदायगी भर होता था. लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी भाषा को जो गौरव दिलाया वह स्वतंत्र भारत में 65 साल के शासनकाल में नहीं मिला.
पीएम मोदी के कार्यकाल में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किए गए हैं. 2014 में सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री ने हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा बनाने पर जोर दिया और हिंदी में अधिक से अधिक काम करने के निर्देश दिए. यहां तक कि प्रधानमंत्री स्वयं भी वैश्विक मंचों पर ज्यादातर हिंदी में ही अपनी बात रखते हैं. चाहे संयुक्त राष्ट्र हो, जी-20 का सम्मेलन हो या फिर विदेशों में प्रवासी सम्मेलन, पीएम मोदी ने हिंदी में अपनी बात रखकर भाषा को नई ऊंचाई दी है. उन्होंने दुनिया को हिंदी भाषा के सामर्थ्य से परिचित कराया और देशवासियों में स्वाभिमान का भाव जागृत किया है.
नई शिक्षा नीति में तीन भाषा फॉर्मूले में हिंदी अनिवार्य
पीएम मोदी की सरकार की नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा के प्रयोग पर काफी जोर दिया गया है. इस नीति में तीन भाषाओं का फॉर्मूले दिया गया है, जिसमें अंग्रेजी के अलावा दो भारतीय भाषाओं को स्थान दिया गया है. अबतक गैर-हिंदी भाषी राज्यों में स्थानीय भाषा के अलावा केवल अंग्रेजी को तवज्जो दी जाती थी. लेकिन नई शिक्षा नीति में तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य कर दिया गया है. केंद्र सरकार की तरफ से इसी साल यह भी बताया गया कि अब देश में ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिसके तहत हिंदी भाषा में भी इंजीनियरिंग और डॉक्टरी की पढ़ाई की जा सकेगी.
शिक्षा में हिंदी को बढ़ावा, डॉक्टरी की पढ़ाई भी संभव
मोदी सरकार ने हिंदी के विकास की ओर कदम बढ़ाते हुए विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेज को भी हिंदी भाषा में ही पढ़ाने पर जोर दे रही है. सरकार द्वारा मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी अब हिंदी भाषा में करवाई जा रही है. हाल ही में मध्य प्रदेश के सभी 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी भाषा में पढ़ाई की शुरुआत की गई है.
डिजिटल हिंदी को बढ़ावा
आज के दौर में किसी भी चीज को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल टूल्स काफी मददगार होता हैं. इसलिए मोदी सरकार के कार्यकाल में राजभाषा विभाग द्वारा सी डैक के सहयोग से तैयार किये गये लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) मोबाइल ऐप भी बनाया गया है. इस ऐप पर लोग आसान तरीके से हिंदी भाषा को समझ और सीख सकते हैं. इसके अलावा भी सरकार कई अन्य डिजिटल तरीकों को भी प्रोमोट कर रही है.
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी
हिंदी केवल भारत ही नहीं, बल्कि फिजी, मॉरीशस समेत कई अन्य देशों में प्रमुखता से बोली जाती है. इसलिए मोदी सरकार ने हिंदी भाषा को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. नतीजा ये हुआ कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने जून 2022 में पहली बार हिंदी भाषा से जुड़े भारत के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी जरूरी कामकाज और सूचनाओं को इसकी आधिकारिक भाषाओं के अलावा दूसरी भाषाओं जैसे- हिंदी में भी जारी किया जाए. भारत की ओर से ये प्रस्ताव लाया गया था.
दुनिया में हिंदी को नयी पहचान मिले, इसकी बात केवल इतने तक सीमित नहीं रही. मोदी सरकार के प्रयासों से ही 2018 से ही करोड़ों हिंदी भाषी लोगों के लिए संयुक्त राष्ट्र ने हिंदी में ट्विटर अकाउंट और न्यूज पोर्टल शुरू किया था. हर हफ्ते संयुक्त राष्ट्र का एक हिंदी ऑडियो बुलेटिन जारी होता है. 2018 में हिंदी @ UN’ परियोजना शुरू की गई थी, जिसका लक्ष्य हिंदी भाषा में संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना और दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले लोगों को ज्यादा से ज्यादा कंटेट देना था.
अदालतों में हिंदी
पीएम मोदी की पहल पर सुप्रीम कोर्ट में अदालती आदेश अब हिंदी भाषा में उपलब्ध कराए जा रहे है.
PM मोदी का हिंदी प्रेम अटूट, हस्ताक्षर भी हिंदी में
पीएम मोदी को हिंदी से कितना प्रेम है उसे इसी बात से समझा जा सकता है कि वे अपना हस्ताक्षर भी हिंदी में करते हैं.