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चीन के मोर्चे पर भारत तैयार, वायुसेना के बेड़े में शामिल हुए टैक्टिकल ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C295, जानें खासियत

भारतीय वायुसेना टू फ्रंट वॉर की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी तैयारियों में बड़ी तेजी से जुटी है. भारत और चीन के बीच तीन साल पहले शुरू हुए विवाद में वायुसेना ने कम समय में अपने ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के जरिए 330 BMP यानी कि आर्मर्ड पर्सनल करियर व्हीकल, 90 टैंक और आर्टिलरी गन और 68 हजार से ज्यादा सैनिकों को कम से कम समय में पूर्वी लद्दाख में LAC तक पहुंचाया है. इसमें C-17 ग्लोबमास्टर, IL -76 , C-130 J सुपर हरक्यूलिस, AN-32 फिक्स विंग के साथ हेलीकॉप्टर ने भी मोर्चा संभाल लिया था, लेकिन अब एक नया मीडियम लिफ्ट टैक्टिकल एयरक्राफ्ट भी C-295 भी भारतीय वायुसेना में शामिल हो गया है.

सोमवार को गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विधिवत सर्वधर्म पूजा अर्चना के बाद एयरक्राफ्ट को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया. ये C-295 साठ के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल एवरो एयरक्राफ्ट की जगह लेंगे. इसी महीने की 13 तारीख को पहला C-295 MW ट्रांसपोर्टर विमान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी को स्पेन में सौंपा गया था. भारत सरकार ने स्पेन से 56 नए C-295 MW विमानों की खरीद का करार साल 2021 किया था.

स्पेन से उड़ान भरकर आएंगे 16 विमान
एयरबस और टाटा इन 56 विमानों में से 16 विमान स्पेन से पूरी तरह से तैयार होकर फ़्लाईवे कंडीशन यानी की स्पेन से सीधे उड़ान भरकर भारत आएंगे, जबकि बाकि 40 को लाइसेंस के तहत भारत में बनाया जाएगा. गुजरात के वडोदरा में इसका निर्माण होगा. इसकी नींव खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 30 अक्टूबर को रखी थी. स्पेन की एयरबस कंपनी से 56 C-295 MW ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए करार किया था और भारत में एयरबस का पार्टनर टाटा कंसोर्टियम है. पहली बार कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा.

दरअसल 60 के दशक से भारतीय वायुसेना में सेवाए दे रहे एवरो छोटे ट्रांसपोर्टर विमानों को अब स्पेन के C-295 MW से बदला जाएगा.

क्या है C-295 की खासियत?
इस नए एयरक्राफ्ट की माल ढोने की क्षमता 5 से 10 टन की है, यानी तकरीबन 70 सैनिकों और पूरे बैटल लोड के साथ 50 पैराट्रूपर को आसानी से ले जा सकती है. इस एयरक्राफ्ट से सैनिक और कार्गो को पैरा ड्राप करने के लिए रीयर रैंप डोर भी हैं. इस एयरक्राफ्ट की खास बात ये है कि ये लो लेवल फ्लाइंग में माहिर है और टैक्टिकल मिशन को अंजाम दे सकता है.

480 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार
ये एयरक्राफ्ट छोटे और रनवे से लैंडिंग और टेक ऑफ कर सकता है. टेक ऑफ महज 670 मीटर से और लैंडिंग 320 मीटर के रनवे पर कर पाने की क्षमता है. भारत और चीन से लगती पूरी एलएसी में ये एयरक्राफ्ट आसानी से ऑपरेट कर सकता है. 480 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इस एयरक्राफ्ट में स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट लगा हुआ है. मेडिकल इवेक्युएशन ऑपरेशन के दौरान इस एयरक्राफ्ट में 24 स्ट्रेचर लगाए जा सकते हैं.

ट्रांसपोर्ट फ्लीट को अपग्रेड करने में जुटी वायुसेना
भारतीय वायुसेना मौजूदा ट्रांसपोर्ट फ्लीट की एक असेसमेंट स्टडी भी करा रही है, जिसके मुताबिक आने वाले दिनों में जो एयरक्राफ्ट रिटायर होने वाले हैं उनका विकल्प भी ढूंढा जा रहा है. फ़िलहाल भारतीय वायुसेना में एवरो के अलावा भारतीय वायुसेना के पास C-17 ग्लोबल मास्टर, C-130 सुपर हरक्यूलिस, AN-32 और IL 76 ट्रांसपोर्ट विमान हैं. AN-32 और  IL 76 भी पुराने हो चले हैं. AN-32 साल 2032 के बाद सेना में रिटायर होने शुरू हो जाएंगे, जबकि IL -76 कुछ और साल अपनी सेवाएं देंगे.

आधुनिक सुविधाओं से किया जा रहा लैस
AN-32 के रिप्लेसमेंट के लिए मिडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी वायुसेना की तरफ से जारी की गई है. भारतीय वायुसेना मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए मल्टी रोल एयरक्राफ्ट जिसमें सैनिकों को ले जाने, सामान ले जाने, सामान ड्रॉप करने, घायलों को निकालने, कॉम्बेट फ्री फॉल आदि जैसे सुविधाओं से लेस प्लेटफ़ॉर्म को शामिल कर रही है. बहरहाल जिस तेजी भारत एयरक्राफ्ट उत्पादन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है आने वाले दिनों में ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत दुनिया को स्वदेशी विमान भी बेचेगा.