महाराष्ट्र के नासिक जिले की सभी 15 थोक मंडियों के प्याज व्यापारी और कमीशन एजेंट्स 21 सितंबर से ही हड़ताल पर है. शनिवार को उन्होंने अपनी हड़ताल को अनिश्चित काल के लिए बढ़ाने की घोषणा कर दी. नासिक में ही देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव है. नासिक की मंडियों में प्याज व्यापारियों की हड़ताल से केंद्र और राज्य सरकार की धड़कन तो बढ़ी हुई है ही, आम आदमी की चिंता भी बढ़ा दी है. हड़ताल की वजह से कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं. नई दिल्ली में फुटकर में प्याज 40 रुपये प्रति किलो तक हो गया है.
प्याज व्यापारियों का कहना है कि उन्हें कई वजहों से हड़ताल करने पर मजबूर होना पड़ा है. प्याज के व्यापार में सरकार की दखलअंदाजी बढ़ी है. इसका असर उनके व्यापार और आमदनी पर हो रहा है. सरकार ने हाल ही में प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी. सरकारी एजेंसियां- नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नाफेड) और नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) थोक में खरीदे गए प्याज को अब रिटेल में कई मंडियों में बेच रही है. इसके अलावा सरकार ने भारी मार्केट सेस भी प्याज की खरीद-फरोख्त पर लगाया है.
क्या है व्यापारियों की मांग?
व्यापारियों की मांग है कि सरकार प्याज के निर्यात पर लगाए गए एक्सपोर्ट ड्यूटी को हटाए. केंद्रीय एजेंसियां नाफेड और एनसीसीएफ मंडियों में रिटेल में प्याज न बेचे और सरकार मार्केट सेस को कम करे. प्याज व्यापारियों की हड़ताल समाप्त कराने को महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार पूरा जोर लगा रही है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी हड़ताली व्यापारियों के साथ बातचीत कर चुके हैं पर इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला.
क्या बढ़ेंगी प्याज की कीमतें?
अगर हड़ताल लंबी चलती है तो प्याज की आपूर्ति बाधित होगी और इससे कीमतों में उछाल आने की आशंका है. जानकारों का कहना है कि हड़ताल अभी सिर्फ नासिक जिले की 15 मंडियों में ही हुई है. यहां से प्याज उत्तर और उत्तर पूर्व भारत में ही जाता है. अभी इन दोनों ही क्षेत्रों में मध्य प्रदेश, गुजरात और अन्य प्रदेशों से खरीदकर रखा गए प्याज से मार्केट में आपूर्ति हो रही है. इसी वजह से प्याज की आपूर्ति में बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. फिर भी रिटेल में प्याज की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं.