फिलिस्तीनी समूह हमास (Hamas) द्वारा इज़रायल (Israel) पर शनिवार को किए गए बड़े हमले में रूस (Russia), चीन (China) और ईरान (Iran) ने प्रमुख भूमिका निभाई है. आकलन में कहा गया है कि जहां ईरान हमास को खुला प्रशिक्षण और राजनीतिक समर्थन देता है, तो वहीं रूस हमास से निकटता के लिए जाना जाता है और चीनी तकनीक हमले के लिए महत्वपूर्ण थी.
हमास का हमला इज़रायल पर 2,000 से अधिक रॉकेट दागे जाने के साथ शुरू हुआ. रॉकेटों की आड़ में, गाजा से बड़े पैमाने पर जमीनी ऑपरेशन शुरू किया गया. 20 से अधिक इजरायली कस्बों और सेना के ठिकानों पर हमला किया गया. जानकारी के अनुसार इज़रायल को बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसी आशंका है कि करीब 250 से अधिक लोगों की मौत और 1,500 से अधिक लोग घायल हैं. यह संख्या आने वाले समय में बढ़ सकती है.
यहूदी कैलेंडर के सबसे पवित्र दिन किया हमला
इस्लामवादी समूह ने 1973 के योम किप्पुर युद्ध के 50 साल और एक दिन बाद यह हमला बोला. इस दिन एक प्रमुख- सब्बाथ और सुक्कोट के यहूदी अवकाश भी होता है. इस दिन भूमि, समुद्र और हवाई मार्ग से इज़राइल में हमला किया. ऐसे हमले की किसी को भी उम्मीद नहीं थी. योम किप्पुर यहूदी कैलेंडर का सबसे पवित्र दिन है.
कुछ सप्ताह पहले तुर्की ने हमास को विस्फोटक उपलब्ध कराया था
कुछ हफ्ते पहले ही ऐसी खबरें आई थीं कि तुर्की ने हमास को विस्फोटक मुहैया कराए थे. जबकि इज़रायल ने इसे रोक लिया, लेकिन किसी ने इसके बारे में बात नहीं की. इसके अलावा, खुफिया एजेंसियों के आकलन के अनुसार, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) की गुप्त यात्रा भी की थी, जिसके बारे में बात नहीं की गई थी.